इन मंदिरो में होती है बिना सिर मूर्तियों की पूजा , जानिए कौन-कौन से है ये अनोखे मंदिर ! - Punjab Kesari
Girl in a jacket

इन मंदिरो में होती है बिना सिर मूर्तियों की पूजा , जानिए कौन-कौन से है ये अनोखे मंदिर !

NULL

आज हम आपको बताने रहे है ऐसे मंदिरो के बारे में जहां बिना सिर की मूर्तियों की होती है पूजा ! जी हाँ, वैसे तो लोग खंडित मूर्तियों की पूजा नहीं करते हैं। लेकिन ऐसे मंदिरो के बारे में जहां देवी-देवताओं की ज्यादातर मूर्तियों पर सिर ही नहीं है फिर भी पूजा करते है। तो चलिए जानते है ऐसी मंदिरो के बारे में : –

pray

झारखंड की राजधानी रांची से लगभग 80 किलोमीटर की दूरी पर रजरप्पा नाम की जगह है। इस स्थान की पहचान धार्मिक महत्व के कारण बहुत प्रसिद्ध है क्योकि यहाँ पर एक मंदिर है। जिसका नाम छिन्न मस्तिका मंदिर है। असम में माँ कामख्या मंदिर को सबसे बड़ी शक्तिपीठ माना जाता है। और इसके साथ ही दुनिया की दुसरे नंबर पर शक्तिपीठ रजरप्पा छिन्नमस्तिका मंदिर है । आपको जानकर और भी ज्यादा हैरानी होगी कि यहाँ पे भक्त बिना सिर वाली देवी मां की पूजा करते है इन माता का सर नहीं है। केवल सर से नीचे के भाग की पूजा लोग करते है।

Chinna Mastika Temple

आपको बता दे की एक बार मां भवानी अपनी दो सहेलियों के साथ मंदाकिनी नदी में स्नान करने आई थीं। स्नान करने के बाद सहेलियों को इतनी तेज भूख लगी कि भूख से बेहाल उनका रंग काला पड़ने लगा। उन्होंने माता से भोजन मांगा। माता ने थोड़ा सब्र करने के लिए कहा, लेकिन वे भूख से तड़पने लगे।

Chinna Mastika Temple

सहेलियों के विनम्र आग्रह के बाद मां भवानी ने खड्ग से अपना सिर काट दिया, कटा हुआ सिर उनके बाएं हाथ में आ गिरा और खून की तीन धाराएं बह निकली। दो धाराओं को उन्होंने उन दोनों की ओर बहा दिया। बाकी को खुद पीने लगी तभी से मां के इस रूप को छिन्नमस्तिका नाम से पूजा जाने लगा।

Ashtabhuja Dham Temple

दूसरा मंदिर उत्तरप्रदेश की राजधानी से 170 किमी दूर प्रतापगढ़ के गोंडे गांव में स्थित है। यह मंदिर लगभग 900 साल पुराना हैं। अष्टभुजा धाम मंदिर की मूर्तियों के सिर औरंगजेब ने कटवा दिए थे। शीर्ष खंडित ये मूर्तियां आज भी उसी स्थिति में इस मंदिर में संरक्षित की गई हैं।

Aurangzeb

ASI के रिकॉर्ड्स के मुताबिक, मुगल शासक औरंगजेब ने 1699 ई. में हिन्दू मंदिरों को तोड़ने का आदेश दिया था। उस समय इसे बचाने के लिए यहां के पुजारी ने मंदिर का मुख्य द्वार मस्जिद के आकार में बनवा दिया था। जिससे भ्रम पैदा हो और यह मंदिर टूटने से बच जाए। मुगल सेना इसके सामने से लगभग पूरी निकल गई थी, लेकिन एक सेनापति की नजर मंदिर में टंगे घंटे पर पड़ गई।

Ashtabhuja Dham Temple

फिर सेनापति ने अपने सैनिकों को मंदिर के अंदर जाने के लिए कहा और यहां स्थापित सभी मूर्तियों के सिर काट दिए गए। आज भी इस मंदिर की मूर्तियां वैसी ही हाल में देखने को मिलती हैं। मंदिर की दीवारों, नक्काशियां और विभिन्न प्रकार की आकृतियों को देखने के बाद इतिहासकार और पुरातत्वविद इसे 11वीं शताब्दी का बना हुआ मानते हैं।

Ashtabhuja Dham Temple1

गजेटियर के मुताबिक, इस मंदिर का निर्माण सोमवंशी क्षत्रिय घराने के राजा ने करवाया था। मंदिर के गेट पर बनीं आकृतियां मध्य प्रदेश के प्रसिद्ध खजुराहो मंदिर से काफी मिलती-जुलती हैं। इस मंदिर में आठ हाथों वाली अष्टभुजा देवी की मूर्ति है। वही , गांव वाले बताते हैं कि पहले इस मंदिर में अष्टभुजा देवी की अष्टधातु की प्राचीन मूर्ति थी। 15 साल पहले वह चोरी हो गई। इसके बाद सामूहिक सहयोग से ग्रामीणों ने यहां अष्टभुजा देवी की पत्थर की मूर्ति स्थापित करवाई।

24X7 नई खबरों से अवगत रहने के लिए क्लिक करे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

thirteen − two =

Girl in a jacket
पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।