शराब का कम उठाव करने वाले दुकानदारों को उच्च न्यायालय में नहीं मिली राहत - Punjab Kesari
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शराब का कम उठाव करने वाले दुकानदारों को उच्च न्यायालय में नहीं मिली राहत

शराब की दुकानों का लाइसेंस आवंटित करने के दौरान शर्त लगाई थी कि एक निश्चित मात्रा में शराब

झारखंड में अपने कोटे की शराब का उठाव नहीं करने वाले दुकानदारों को उच्च न्यायालय की खंडपीठ से कोई राहत नहीं मिली और अब उन्हें लाइसेंस की शर्तों के अनुसार राज्य सरकार को जुर्माना देना होगा। झारखंड उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति एचसी मिश्र और दीपक रोशन की पीठ ने शराब दुकानदारों पर सरकार की ओर से लगाए जुर्माने को चुनौती देने वाली याचिका को आज सुनवाई के बाद खारिज कर दिया। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अदालत ने एकल पीठ के आदेश को बरकरार रखा और दुकानदारों की अपील याचिका को खारिज कर दिया।
वर्ष 2017 में राज्य सरकार ने निर्धारित कोटे से कम शराब का उठाव करने वाले दुकानदारों को जुर्माने की राशि का नोटिस जारी किया था। सरकार ने वर्ष 2014-15 में शराब की दुकानों का लाइसेंस आवंटित करने के दौरान शर्त लगाई थी कि एक निश्चित मात्रा में शराब का उठाव करना सभी दुकानदारों को अनिवार्य होगा।
डिमांड नोटिस के बाद 47 दुकानदारों ने उच्च न्यायालय में इसके खिलाफ याचिका दाखिल की थी। सुनवाई के बाद एकलपीठ ने मार्च 2019 में इनकी याचिका को खारिज करते हुए सरकार के फैसले को सही बताया। इसके बाद, सभी दुकानदारों ने एकलपीठ के आदेश को खंडपीठ में चुनौती दी जहां सोमवार को उनकी याचिका खारिज हो गयी।
सरकार ने सोमवार को सुनवाई के दौरान अदालत को बताया कि शराब बेचने के लाइसेंस आवंटन के समय ही दुकानदारों को निर्धारित कोटे की शराब के उठाव की शर्त लगाई गई थी। दुकानदारों ने लाइसेंस की शर्तों का उल्लंघन किया जिससे सरकार को करोड़ों रुपये के राजस्व का नुकसान हुआ। नुकसान की भरपाई के लिए सरकार ने दुकानदारों को डिमांड नोटिस जारी किया, जो कानूनन सही है।
याचिकाकर्ताओं की ओर से इसका विरोध किया गया। उनका कहना था कि जिस शराब का उठाव उन लोगों ने नहीं किया है, उस पर ड्यूटी क्यों भरें। इसके बाद अदालत ने सरकार की दलील को सही मानते हुए दुकानदारों की याचिका को खारिज कर दिया। अविनाश कुमार सहित 47 दुकानदारों ने एकलपीठ के आदेश के खिलाफ खंडपीठ में याचिका दाखिल की थी। 

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