बारिश के कहर से ठहरा जनजीवन - Punjab Kesari
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बारिश के कहर से ठहरा जनजीवन

बारिश लोगों के लिए मुसीबत बनती जा रही है। देहरादून, रुड़की की सड़कें तालाब में जलमग्न हो रही

देहरादून : उत्तराखंड में पिछले तीन दिन से हो रही लगातार बारिश लोगों के लिए मुसीबत बनती जा रही है। देहरादून, हरिद्वार, रुड़की की सड़कें तालाब में जलमग्न होती जा रही हैं। वहीं, चारधाम यात्रा मार्ग भूस्खलन से बार-बार अवरुद्ध हो रहे हैं। गंगा के साथ ही अन्य नदियों के जलस्तर में भी बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है। वहीं, देहरादून, उत्तरकाशी, हरिद्वार सहित अधिकांश जनपदों में स्कूलों में 12 वीं तक की छुट्टी कल ही घोषित कर दी गई थी। वहीं, रुद्रप्रयाग में केदारनाथ धाम ने बारिश के चलते मंदाकनी नदी उफान पर है। गरुड़चट्टी को जोड़ने वाला पुल के ऊपर से पानी बह रहा है।

उत्तराखंड के अधिकांश जिलों में लगातार बारिश के चारधाम यात्रा मार्ग की सड़कें भी भूस्खलन से दरक रही हैं। बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री हाईवे भूस्खलन की वजह से बाधित है। लगातार हो रही बारिश से शहरों में कई स्थानों पर जलभराव की समस्या से लोगों को जूझना पड़ रहा है। हालांकि बदरीनाथ हाईवे को बाद में खोल दिया गया। वहीं, केदारनाथ हाईवे डोलिया देवी फाटा, तिलवाडा के समीप, रामपुर और चंडिकाधार में भूस्खलन से बंद है। उत्तरकाशी में गंगोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग धरासू, बडेथी, ओंगी, थिरांग के पास मलबा आने से अवरुद्ध है। यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग डाबरकोट के पास 21 जुलाई की शाम से अवरुद्ध है।

डाबरकोट में लगातार हल्के पत्थर गिरने के कारण मार्ग सुचारु करने का कार्य शुरू नहीं हो पाया है। विकासनगर-बड़कोट राष्ट्रीय राजमार्ग खरसुन क्यारी के पास मलबा आने से अवरुद्ध हैं। वहीं, राज्य मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक बिक्रम सिंह के अनुसार दून सहित उत्तराखंड के कुछ इलाकों में बारिश का दौर जारी रहेगा। बारिश के चलते टोंस नदी उफान पर है। टोंस का जलस्तर बढ़ने से त्यूणी के मुख्य बाजार को खतरा पैदा हो गया। त्यूणी में टोंस नदी का पानी खतरे के निशान से ऊपर बह रहा है। जिससे लोगों की सांसे थम गई। टोंस के ऊफनने से त्यूणी में बना हेलीपैड पानी में डूब गया। बारिश से हुए भूस्खलन के चलते कोटी-बावर, मैंद्रथ-बागी, कूणा व डिरनाड समेत कई पंचायतों में पेयजल लाइनें, संपर्क मार्ग व अन्य सार्वजनिक परिसंपत्तियों को बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचा है। बारिश व भूस्खलन से आधा दर्जन ग्रामीण बागवानों के 100 से ज्यादा सेब के पेड़ मलबे में बह गए।

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