केरल में सबरीमला स्थित भगवान अयप्पा के मंदिर के कपाट दो महीने चलने वाली तीर्थयात्रा मंडला-मकरविलक्कू के लिए शनिवार को कड़ी सुरक्षा के बीच खोल दिए गए। इस बीच पुलिस ने 10 महिलाओं को मंदिर में प्रवेश से पहले पंबा से वापस भेज दिया। मंदिर के तंत्री (मुख्य पुरोहित) कंडरारू महेश मोहनरारू ने सुबह पांच बजे मंदिर के गर्भगृह के कपाट खोले और पूजा अर्चना की।
केरल के पथनमथिट्टा जिले में पश्चिमी घाट के आरक्षित वन क्षेत्र में स्थित मंदिर में केरल, तमिलनाडु और अन्य पड़ोसी राज्यों के सैकड़ों श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचे। तंत्री के ‘पदी पूजा’ करने के बाद श्रद्धालु, जिन्हे दो बजे दोपहर को पहाड़ी पर चढ़ने की अनुमति दी गई, वे इरुमुडीकेट्टू (प्रसाद की पवित्र पोटली) के साथ मंदिर के पवित्र 18 सोपन पर चढ़ कर भगवान अयप्पा के दर्शन कर सकेंगे।
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नए तंत्री एके सुधीर नम्बूदिरी (सबरीमाल) और एमएस परमेश्वरन नम्बूदिरी (मलिकापुरम) ने बाद में पूजापाठ की जिम्मेदारी ली। पिछले साल 28 सितंबर को उच्चतम न्यायालय द्वारा सभी आयुवर्ग की महिलाओं को मंदिर में प्रवेश की अनुमति देने और राज्य की वाम मोर्चे की सरकार द्वारा इसका अनुपालन करने की प्रतिबद्धता जताने के बाद दक्षिणपंथी संगठनों और भाजपा कार्यकर्ताओं ने बड़े पैमाने पर प्रदर्शन किया था।
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हालांकि, इस साल उच्चतम न्यायालय ने 10 से 50 आयु वर्ग की महिलाओं को मंदिर में प्रवेश देने संबंधी अपने फैसले पर रोक नहीं लगाई। लेकिन इस फैसले के खिलाफ दाखिल याचिकाओं को सात न्यायाधीशों की वृहद पीठ को भेज दिया। साथ ही, सरकार भी इस विषय पर सावधानी बरत रही है।
देवस्वाओम मंत्री कडकम्पल्ली सुरेंद्रन ने स्पष्ट कर दिया है कि सबरीमला कार्यकर्ताओं के अपनी सक्रियता दिखाने का स्थान नहीं है और प्रचार पाने के लिए मंदिर आने वाली महिलाओं को सरकार प्रोत्साहित नहीं करेगी। वहीं, 10 से 50 आयुवर्ग की जो महिला सबरीमला मंदिर में दर्शन करना चाहती हैं, वे अदालत का आदेश लेकर आएं।