तमिलनाडु : तटीय इलाकों में बढ़ती बाल मजदूरी को लेकर सरकार सख्त, सीएम ने पुलिस को दिए छापेमारी के निर्देश - Punjab Kesari
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तमिलनाडु : तटीय इलाकों में बढ़ती बाल मजदूरी को लेकर सरकार सख्त, सीएम ने पुलिस को दिए छापेमारी के निर्देश

देश के दक्षिण राज्य तमिलनाडु में सरकार ने फैसला लिया है कि, वह तटीय इलाकों में बढ़ती बाल

देश के दक्षिण राज्य तमिलनाडु में सरकार ने फैसला लिया है कि, वह तटीय इलाकों में बढ़ती बाल मजदूरी के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेगी। एक रिपोर्ट के मुताबिक राज्य के तटीय इलाकों में बाल मजदूरी के मालमों में बढो़त्तरी देखी गई थी। मुख्यमंत्री कार्यालय के सूत्रों ने मीडिया को बताया कि सीएम एम.के. स्टालिन ने इस मामले में सीधे तौर पर हस्तक्षेप किया है और राज्य के समाज कल्याण विभाग को इस मुद्दे पर विस्तृत अध्ययन करने का काम सौंपा है। गौरतलब है कि, रामनाथपुरम में एक बकरी के खेत में चार बंधुआ मजदूर बच्चों को बचाए जाने के बाद राज्य सरकार को आलोचना का सामना करना पड़ा। तीनों बच्चों को  खेत के मालिक गोविंदराजन ने उनके गरीबी से जूझ रहे माता-पिता से 62 हजार रुपये में खरीदा था। जब बच्चों को तंजावुर में एक मल्टीटास्क डिपार्टमेंट फोर्स द्वारा बचाया गया, तो वे ठीक से संवाद करने में सक्षम नहीं थे क्योंकि वे 500 बकरियों के झुंड में बिना भोजन के साथ रह रहे थे। 
10 वर्ष से कम थी सभी बच्चों की उम्र
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बच्चों के बचाने वाले एनजीओ के कार्यकर्ता ने कहा कि उनके एनजीओ, ‘शेड इंडिया’ ने 40 से ज्यादा बच्चों को बचाया था, जिन्हें बंधुआ मजदूरी के लिए खरीदा था। चार बच्चों के माता-पिता, सुंदरराज और बापति ने मीडियाकर्मियों को बताया कि वे खेत में मजदूरी करते थे लेकिन कोरोना महामारी के बाद से उनकी आर्थिक हालत और ज्यादा खराब हो गई थी। तभी उन्होंने बच्चों को गोविंदराजन को मजदूरी करने के लिए दे दिया और इसके लिए उन्हें जो पैसा दिया गया वह उनके बच्चों के वेतन का था। देश में बाल श्रम के खिलाफ सख्त कानूनों के बावजूद सभी बच्चे 10 साल से कम उम्र के थे और बीत दो सालों से अमानवीय जीवन के अधीन थे। तंजावुर में मीडियाकर्मियों से बात करते हुए, वेट्रिवेल ने कहा, हमें केवल खाने के लिए दिन में एक बार कांजी (दलिया) दिया जाता था और हम चावल और करी खाने का सपना देखते थे। जब उनकी बकरियां गायब हो जाती थीं तो वह हमें पीटते थे और उन्हें ढूंढने के लिए भटकना पड़ता था। हम बकरियों को चराने के लिए रोजाना 10 किमी पैदल चलते थे।
अब बाल कल्याण समिति की देखरेख में है बच्चें
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बाल मजदूरी कर रहे बच्चों में से वेत्रिवेल और वेलायुथन नामक बच्चे खेत के मालिक के चंगुल से बच गए थे और उन्होंने इस मामले को जनता और पथिमराज के सामने प्रकट किया था। पथिमराज के एनजीओ ने तुरंत मामले को उठाया और तंजावुर जिला बाल कल्याण समिति को इसकी जानकारी दी। बच्चे अब बाल कल्याण समिति की देखरेख में हैं और अपने संचार कौशल को वापस पाने की कोशिश कर रहे हैं। पथिमराज ने कहा कि, तंजावुर जिला प्रशासन ने गोविंदराजन के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का वादा किया है। सीएमओ से मिली जानकारी के अनुसार मुख्यमंत्री ने तंजावुर, रामनाथपुरम और अन्य डेल्टा जिला प्रशासन को ऐसे पशुपालन फार्मो, चारकोल इकाइयों, ईट इकाइयों और अन्य क्षेत्रों में जहां बंधुआ मजदूरी की संभावना है, वहां तत्काल छापेमारी करने का निर्देश दिया है।

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