पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार को राहत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने माकपा और भाजपा की याचिकाओं को शुक्रवार को खारिज कर दिया जिनमें राज्य में पंचायत की उन 20,000 से अधिक सीटों पर चुनाव रद्द करने की मांग की गई थी जिन पर निर्विरोध निर्वाचन हुआ था।
बता दें कि उन सभी सीटों पर सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवार निर्विरोध चुने गए थे और विपक्षी दलों ने आरोप लगाया था कि उनके उम्मीदवारों को नामांकन पत्र भरने से रोका गया था। बहरहाल, सुप्रीम कोर्ट ने इन आरोपों पर संज्ञान लिया और कहा कि असंतुष्ट उम्मीदवार संबंधित अदालतों में पंचायत चुनावों को चुनौती देने के लिए चुनाव याचिकाएं दायर कर सकते हैं।
प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए एम खानविल्कर और न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड की पीठ ने संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपनी असाधारण शक्ति का इस्तेमाल किया और चुनाव याचिकायें दायर करने के लिए पंचायत चुनाव नतीजों की अधिसूचना की तारीख से शुरू होकर 30 दिन का समय दिया।
SC के फैसले का तृणमूल ने किया स्वागत
सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए तृणमूल कांग्रेस ने इसे ‘‘लोकतंत्र की जीत’’ बताया और विपक्षी दलों से सूबे की आवाम से माफी मांगने को कहा। तृणमूल कांग्रेस के सांसद कल्याण बनर्जी ने कहा, ”हम बहुत खुश हैं। हम अदालत के फैसले का स्वागत करते हैं। हम यह बात लंबे समय से कह रहे हैं।”
पंचायत मंत्री सुब्रत मुखर्जी ने कहा, ”यह ऐतिहासिक फैसला है। यह विपक्षी दलों के लिए बड़ी सीख है। इससे साबित होता है कि उनके आरोप आधारहीन हैं। उन्हें राज्य के लोगों से माफी मांगनी चाहिए ।”
वहीं राज्य भाजपा का कहना है कि वह फैसले को स्वीकार करती है और अब तृणमूल के साथ लोकतांत्रिक तरीके से लड़ेगी। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा, ”हम उच्चतम न्यायालय के फैसले को स्वीकार करते हैं। हम अगले लोकसभा चुनावों में लोकतांत्रिक तरीके से तृणमूल कांग्रेस के खिलाफ लड़ेंगे। राज्य के लोगों का फैसला अंतिम होगा।”
बता दें कि तृणमूल कांग्रेस का पक्ष है कि एक भी उम्मीदवार यह शिकायत लेकर किसी अदालत में नहीं गया कि उसे नामांकन भरने से रोका गया है।