तमिलनाडु के सीएम स्टालिन ने कहा की देश में भाषा की संस्कृति थोपना संभव नहीं हैं। जो लोग देश पर एक भाषा थोपने का प्रयास कर रहे हैं वह देश के दुश्मन हैं। लोग धर्म व भाषा के जरिए हमारी एकता तोड़ने की कोशिश कर रहे हैं। दरअसल स्टालिन भाषा को लेकर केंद्र सरकार पर आरोप लगाते हैं। उनके बयानों के कई बार तमिल व हिंदी भाषा बहस का विषय भी बन गई हैं। स्टालिन ने कहा कि भारत को मजबूत बनाने के लिए संघवाद, राज्य स्वायत्तता, धर्मनिरपेक्षता, समानता, बंधुत्व, समाजवाद और सामाजिक न्याय की अवधारणाओं को और मजबूत किया जाना चाहिए। भारत को मजबूत, समृद्ध राज्यों से लाभ होगा। मजबूत, सशक्त और आत्मनिर्भर राज्य भारत की ताकत हैं, इसकी कमजोरी नहीं।
वर्चुअल सबोंधन में भी केंद्र पर वार
सीएम स्टालिन केरल में आयोजित एक सभा को राजधानी चेन्नई से संबोधित कर रहे थे। जहां स्टालिन दक्षिण के भाषा विवाद को फिर से बहस का विषय बनाने का प्रयास किया हैं। वर्चुअली सबोंधन में संसद से निलंबित सांसदो के पक्ष में भी केंद्र पर बोलने के अधिकार से वंचित करने का आरोप लगाया। स्टालिन ने केंद्र की बीजेपी सरकार पर आरोप लगाया कि भाजपा अपने राज्यपालों के माध्यम से समानांतर सरकारें चलाने की कोशिश कर रही है। स्टालिन ने कहा कि इस प्रकार की सोच और नीतियां जनविरोधी हैं।
आपको बता दे कि स्टालिन की पार्टी के कई सांसदो को अव्यवहार के चलते सभापति ने एक सप्ताह सांसदो को निलंबित कर दिया था। सीएम ने कहा कि यह आज भारतीय लोकतंत्र की स्थिति है कि बोलने के अधिकार से सांसदों को स्वयं वंचित किया जाता है। संसद में भी बोलने का कोई अधिकार नहीं है, जो कि राय व्यक्त करने का एक मंच है।
तमिल भाषा को राजकीय भाषा बनाने में बारे में पीएम मोदी से भी बोल चुके हैं स्टालिन
एमके स्टालिन ने एक बार फिर तमिल को आधिकारिक भाषा बनाने की मांग करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कहा था की इसे हिन्दी की तरह आधिकारिक भाषा का दर्जा दिया जाए, उन्होंने कहा कि जिस तरह हिन्दी को आधिकारिक भाषा की तरह दर्जा मिला हुआ उसी तरह केंद्र सरकार में और मद्रास हाईकोर्ट में भी तमिल को आधिकारिक भाषा बनाया जाए, स्टालिन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी जवाब दिया, उन्होंने कहा कि तमिल शास्वत और सनातन भाषा है।