Sologamy Marriage: बिना दूल्हे के सात फेरे.. खुद ही मांग में भरा सिंदूर, पंडित ने किया इंकार तो ऐसे पूरी की रस्में - Punjab Kesari
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Sologamy Marriage: बिना दूल्हे के सात फेरे.. खुद ही मांग में भरा सिंदूर, पंडित ने किया इंकार तो ऐसे पूरी की रस्में

गुजरात की क्षमा बिंदु अपने ही साथ विवाह के पवित्र बंधन में बंध गई हैं, क्षमा ने विवादों

गुजरात (Gujarat) की क्षमा बिंदु (Kshama Bindu) अपने ही साथ विवाह के पवित्र बंधन में बंध गई हैं, दरअसल क्षमा ने खुद से शादी रचाने के लिए 11 जून की तारीख को चुना था लेकिन विवादों से बचने के लिए उन्होंने तय तारीख से 3 दिन पहले ही खुद से शादी कर ली। बता दें कि भारत के इतिहास में यह पहली ‘सोलोगामी मैरिज’ हुई है, क्षमा बिंदु ने सभी हिंदू रीति-रिवाजों का पालन करते हुए ‘मेहंदी’ और ‘हल्दी’ की रस्मों को पूरा किया और बिना दूल्हे-पंडित के खुद से ही शादी भी कर ली है। 
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जानें क्यों तय तारीख से पहले ही क्षमा बिंदु ने कर ली शादी?
बता दें कि एक बीजेपी नेता ने क्षमा बिंदु की शादी का विरोध किया था और कहा था कि उन्हें मंदिर में शादी नहीं करने दी जाएगी। बता दें कि शादी के बाद क्षमा ने एक वीडियो संदेश में सभी को धन्यवाद दिया और कहा कि वह समर्थन और प्रोत्साहन के लिए आभारी है। उन्होंने फेसबुक पर कहा, “मैं उन सभी का शुक्रिया अदा करना चाहती हूं जिन्होंने मुझे मैसेज किया और मुझे बधाई दी, सबसे अहम बात मुझे उस चीज के लिए लड़ने की ताकत दी जिसमें मैं विश्वास करती हूं।”
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सोलोगामी मैरिज पर सामने आई मिली जुली प्रतिक्रिया 
बता दें कि पिछले कुछ दिनों में भारत में सोलोगामी मैरिज (Sologamy Marriage) चर्चा का विषय बन गया था, वहीं इस मुद्दे पर राजनीति भी होने लगी थी। राजनेताओं ने इस तरह की शादी पर अपने विचार साझा किए, भाजपा के एक नेता ने कहा कि इस तरह की शादियां हिंदू धर्म के खिलाफ हैं और उन्होंने यह भी कहा कि क्षमा को मंदिर में शादी करने की इजाजत नहीं दी जाएगी। दूसरी ओर, कांग्रेस नेता मिलिंद देवड़ा ने उनकी शादी को पागलपन की सीमा पर ‘जागृति’ का एक उदाहरण बताया। विरोध करने वालों की संख्या तो बहुत थी, लेकिन कई लोगों ने उनका समर्थन भी किया।
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बिना दूल्हे और पंडित के संपन्न हुई शादी 
बता दें कि पहले क्षमा बिंदु के विवाह की तारीख 11 जून थी लेकिन किसी भी तरह के विवाद से बचने के लिए उन्होंने 3 दिन पहले शादी करने का फैसला लिया, बता दें कि क्षमा पहले मंदिर में पंडित जी की मौजूदगी में ही शादी सम्पन्न करवाना चाहती थी। लेकिन भाजपा नेता ने उनकी इस शादी का विरोध किया और मंदिर में विवाह करने की अनुमति नहीं दी, वहीं दूसरी तरफ पंडित जी ने भी उनकी इस शादी को करवाने से इंकार कर दिया था। इसके बाद क्षमा ने अपने परिजनों और कुछ खास दोस्तों के बीच टेप में मंत्र चलाकर खुद से ही शादी की। 
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