महाराष्ट्र की राजनीति में शिवसेना का विधानसभा के लिए मार्ग प्रशस्त करने वाली हिंदुत्व की धुरविरोधी सीपीआई से उद्धव ठाकरे ने हाथ मिला लिया हैं। कभी स्वर्गीय बालासाहेब ठाकरे पर सीपीआई विधायक की हत्या का आरोप लगा था, उसके बाद ही शिवसेना संगठन से निकलकर सियासी दल में बदल गई थी। क्योंकि बालासाहेब ठाकरे पर सीपीआई विधायक कृष्णा देसाई की हत्या का सीधा आरोप लगा था। जिसके बाद उपचुनाव में बालासाहेब ठाकरे ने अपना उम्मीदवार को उतार कर विधानसभा में शिवसेना की पहली उपस्थिति दर्ज करायी थी
अंधेरी ईस्ट उपचुनाव में भाजपा -शिंदे की जोड़ी को मात देने के लिए शिवसेना को हिंदुत्व का पुरजोर से विरोध करने वाले दलों को सीधा समर्थन मिल रहा हैं। ताकि शिवसेना के जरिए ही भाजपा – शिंदे की जोड़ी को कमजोर किया जा सके हैं। यह उपचुनाव ऐसे समय हो रहे हैं जब महाराष्ट्र में शहरी नगर निकाय चुनाव सर पर खड़े हैं। उद्धव ठाकरे मुंबई में स्थापित सत्ता को खोना नहीं चाहते हैं, इसलिए ही वह हिंदुत्व के धुरविरोधी लोगों से सियासी हाथ मिलाने में गुरेज नहीं कर रहे हैं।
शिंदे को मिला उद्धव ठाकरे को हिंदुत्व के मुद्दे पर घेरने का मौका
शिवसेना में टूट के बाद ही शिंदे गुट उद्धव ठाकरे पर हिंदुत्व को छोड़ने का सीधा आरोप लगाते आए हैं। इसी के चलते शिंदे शिवसेना से 40 विधायकों के साथा शिवसेना से अलग होकर भाजपा के साथ मिलकर सत्ता को अपने हाथ में ले लिया, उद्धव ठाकरे सियासी तपिश को घटाने के लिए बल्कि बढ़ाते जा रहे हैं , क्योंकि कांग्रेस, सीपीआई जैसे दलों का स्वर्गीय बालासाहेब ठाकरे ने विरोध किया हैं। इसको लेकर शिंदे गुट पर उद्धव ठाकरे पर हमला तेज कर सकते हैं ।
अंधेरी ईस्ट उपचुनाव में भाजपा -शिंदे की जोड़ी को मात देने के लिए शिवसेना को हिंदुत्व का पुरजोर से विरोध करने वाले दलों को सीधा समर्थन मिल रहा हैं। ताकि शिवसेना के जरिए ही भाजपा – शिंदे की जोड़ी को कमजोर किया जा सके हैं। यह उपचुनाव ऐसे समय हो रहे हैं जब महाराष्ट्र में शहरी नगर निकाय चुनाव सर पर खड़े हैं। उद्धव ठाकरे मुंबई में स्थापित सत्ता को खोना नहीं चाहते हैं, इसलिए ही वह हिंदुत्व के धुरविरोधी लोगों से सियासी हाथ मिलाने में गुरेज नहीं कर रहे हैं।
शिंदे को मिला उद्धव ठाकरे को हिंदुत्व के मुद्दे पर घेरने का मौका
शिवसेना में टूट के बाद ही शिंदे गुट उद्धव ठाकरे पर हिंदुत्व को छोड़ने का सीधा आरोप लगाते आए हैं। इसी के चलते शिंदे शिवसेना से 40 विधायकों के साथा शिवसेना से अलग होकर भाजपा के साथ मिलकर सत्ता को अपने हाथ में ले लिया, उद्धव ठाकरे सियासी तपिश को घटाने के लिए बल्कि बढ़ाते जा रहे हैं , क्योंकि कांग्रेस, सीपीआई जैसे दलों का स्वर्गीय बालासाहेब ठाकरे ने विरोध किया हैं। इसको लेकर शिंदे गुट पर उद्धव ठाकरे पर हमला तेज कर सकते हैं ।