महाराष्ट्र में सियासी जंग काफी ज्यादा तेज हो गई है। शिवसेना के दोनों गुटों उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे कैंप को दिए गए चुनाव चिह्न पर विवाद चल रहा है। इस बार सिख समुदाय के नेताओं ने सीएम एकनाथ शिंदे वाली पार्टी के चुनाव चिह्न पर आपत्ति जताई है।
बता दे कि शिंदे की पार्टी का चुनाव चिह्व दो तलवार और ढाल है। इस पर समुदाय के लोगों का कहना है कि यह खालसा पंथ का धार्मिक प्रतिक है। दूसरी ओर इससे पहले समता पार्टी उद्धव ठाकरे की पार्टी के चुनाव चिह्न मशाल पर सवाल उठा चुकी है।
पार्टी के चिह्न को फ्रिज कर दिया गया था
शिवसेना का दावा पेश कर रहे दोनों ही गुटों को लेकर आयोग ने पार्टी के चिह्न को फ्रिज कर दिया गया था। इसके बाद दोनों समूहों को नए नाम और चिह्न दिए गए थे । अब सीएम शिंदे के समर्थन वाली पार्टी को ‘बालासाहेबांची शिवसेना’ से जाना जाएगा। जिसका चुनाव चिह्नएक ढाल और दो तलवार होगा। जबकि ठाकरे की पार्टी का नाम शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे)और चिह्न मशाल होगा
लोकसभा संसद अरविंद सावंत ने भी आरोप लगाए थे
ECI की तरफ से जारी अंतिम आदेश ने दोनों गुटों से शिवसेना का नाम और चिह्न का इस्तेमाल करने का अधिकार छीन लिया था। इस पर पूर्व लोकसभा संसद और शिवसेना नेता चंद्रकांत खैरे हैरानी जाहिर कर रहे थे। साथ ही उन्होंने इसके तार राजनीति मकसद से जोड़ दिए थे। इतना ही नहीं पार्टी के लिए लोकसभा संसद अरविंद सावंत ने भी आरोप लगाए थे कि उद्धव गुट के जवाब और शिंदे कैंप की याचिका में से किसी पर भी विचार नहीं किया गया था।