मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना ऐसी ही बहुत सी कहावत है जो भाई-चारे को मजबूत बना बढ़ावा देती है। लेकिन अब कुछ दिनों से राजनीतिक पार्टिया धार्मिक ग्रंथो को लेकर बयान- बाज़ी करने लगी है।मानो राजनीती में और कुछ रहा ही ना धर्म के आलावा भी राजनीती करने को बहुत कुछ है।ये राजनीतिक पार्टयों को सीखना होगा। कम से कम धर्म के विषय में जो भी बोला जाए वो तर्क संगत बोला जाए।
राजद विधायक की प्रतिक्रिया पर हिन्दू समाज सहिष्णु
राष्ट्रीय जनता दल के विधायक रीतलाल यादव के इस दावे पर प्रतिक्रिया देते हुए कि रामचरितमानस एक मस्जिद के अंदर लिखा गया था, विश्व हिंदू परिषद (विहिप) ने कहा कि यादव ऐसा केवल इसलिए कह सकते हैं क्योंकि वह जानते हैं कि हिंदू समाज सहिष्णु है। विहिप के राष्ट्रीय प्रवक्ता विनोद बंसल ने शनिवार को कहा, ‘हिंदू समाज सहिष्णु है, इसीलिए आप (यादव) ऐसा कह पाए।’ राजद विधायक यादव ने गुरुवार को एक चर्चा के दौरान अपनी विवादास्पद टिप्पणियों से रामचरितमानस पर एक नई पंक्ति को प्रज्वलित कर दिया, जहां उन्होंने पूछा, “क्या हिंदुत्व खतरे में नहीं था जब रामचरितमानस एक मस्जिद के अंदर लिखा जा रहा था?
अगर समाज के निचले वर्ग शिक्षित हो जाते हैं तो यह जहरीला
जनवरी में राजद के एक अन्य नेता चंद्रशेखर ने दावा किया था कि रामचरितमानस समाज में नफरत फैलाता है क्योंकि यह कहता है कि अगर समाज के निचले वर्ग शिक्षित हो जाते हैं तो यह “जहरीला” हो जाता है।समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने यह भी आरोप लगाया था कि तुलसीदास द्वारा रचित रामचरितमानस में दलित समुदाय की भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाले शब्द हैं।