प्रसिद्ध वामपंथी नेता एवं राज्यसभा सांसद डी राजा भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के महासचिव बनाए गए हैं। वह सुधाकर रेड्डी का स्थान लेंगे जिन्होंने स्वास्थ्य कारणों से अपना पद त्याग दिया है। तमिलनाडु के वेल्लोर के चित्तूर में तीन जून 1949 में जन्मे डी राजा पहले दलित नेता हैं जो पार्टी के महासचिव बने हैं। वह अविभाजित भाकपा के नौंवे महासचिव हैं।
उनसे पहले सर्वश्री पी सी जोशी (संस्थापक महासचिव), अजय घोष, बी टी रणदिवे,ई एस-नम्बुदरीपाद, सी राजेश्वर राव, इन्द्रजीत गुप्त, ए बी वर्धन और सुधाकर रेड्डी पार्टी के महासचिव पद पर रहे। पार्टी के विभाजन के बाद डॉ़ राजा पांचवे महासचिव हैं।
पार्टी के निवर्तमान महासचिव सुधाकर रेड्डी ने राष्ट्रीय परिषद, की तीन दिवसीय बैठक के बाद पत्रकारों को बताया कि डी राजा के नाम पर राष्ट्रीय परिषद ने मुहर लगा दी है। इसके अलावा छात्र नेता कन्हैया कुमार समेत तीन युवा नेताओं को राष्ट्रीय कार्यकारिणी में शामिल किया गया है।
कन्हैया कुमार पार्टी के वरिष्ठ नेता शमीम फैजी के हाल ही में निधन से रिक्त हुए स्थान की जगह कर्यकारिणी में शामिल किए गए हैं। उनके अलावा ओडिशा के कामरेड रामकृष्ण पांडा और अखिल भारतीय आदिवासी महासभा के नेता मनीष कुंजन को विशेष प्रतिनिधि के रूप में कार्यकारिणी का सदस्य बनाया गया है।
मनीष कुंजन छात्तीसगढ़ के विधायक भी रहे हैं। राष्ट्रीय परिषद, की बैठक में 11 प्रस्ताव पारित किए गए जिनमें रेलवे के निजी करण के अलावा आयुध फैक्टरियों के निजीकरण का विरोध किया गया है। इसके अलावा सूचना के अधिकार कानून में संशोधन का भी विरोध किया गया है।
चार दशक से वाम राजनीति में सक्रिय डी राजा एक गरीब परिवार में पैदा होकर राष्ट्रीय स्तर के नेता बने। वह वर्ष1994 से पार्टी के राष्ट्रीय सचिव थे और वर्ष 2007 में राज्यसभा में चुनकर आए थे। वह दो बार इस सदन के सदस्य रहे। उनका दूसरा कार्यकाल इसी माह समाप्त हो रहा है। डी राजा संसद और उसके बाहर प्रतिरोध के मुखर स्वर रहे हैं।
दलितों, गरीबों और वंचितों के पक्ष में वह जोर शोर से सवाल उठाते रहे हैं। उन्होंने बीएससी और बीएड किया है। उन्होंने दलित तथा बेरोजगारी पर किताबें भी लिखी हैं। उनकी पत्नी अन्नी राजा अखिल भारतीय महिला महासंघ की महासचिव हैं तथा पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में हैं। उनकी बेटी अपराजिता जवाहरल लाल नेहरु विश्वविद्यालय की छात्र नेता है। डी राजा का पूरा परिवार जन आंदोलन में सक्रिय रहा है।