प्रदर्शनकारियों ने सबरीमाला मंदिर में प्रवेश करने की इच्छुक दो महिलाओं को बुधवार को बीच मार्ग में ही रोक दिया। पुलिस ने यह जानकारी दी। कन्नूर जिला निवासी रेशमा निशांत और शनिला ने तड़के पहाड़ी चढ़ने की कोशिश की लेकिन श्रद्धालुओं ने उन्हें भगवान अयप्पा को चढ़ाए जाने वाले चढ़ावे ‘इरुमुदिकेट्टु’ के साथ देख लिया और उन्हें मंदिर जाने से बीच रास्ते में ही रोक दिया।
पुलिस ने कहा, ”उन्हें (सबरीमाला जाने के मार्ग) नीलीमला में रोक दिया गया। विरोध प्रदर्शन के कारण उन्हें नीचे लाया गया। उन्हें पम्बा लाए जाने के बाद सुबह करीब सात बजे एरुमेली ले जाया गया।” सूत्रों ने बताया कि महिलाएं पुरूषों के एक समूह के साथ आई थीं। निशांत ने मीडिया से कहा, ”हमने यहां पहुंचने से पहले सुरक्षा की मांग करते हुए पुलिस को सूचित कर दिया था।”
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सूत्रों ने बताया कि दोनों महिलाएं अब पुलिस हिरासत में हैं। वे इस मांग के साथ अनिश्चितकालीन अनशन कर रही हैं कि उन्हें मंदिर में प्रवेश की अनुमति दी जाए। देवस्वओम मंत्री कदकमपल्ली सुरेंद्रन ने श्रद्धालुओं (महिलाओं) को सबरीमाला में प्रवेश से रोकने की इस घटना को ‘‘बर्बर’’ करार दिया है।
उन्होंने कहा, ”व्रत रखने वाली सभी महिलाएं सबरीमाला में प्रवेश कर सकती हैं। श्रद्धालुओं को मंदिर जाने से रोकना बर्बरतापूर्ण है। सबरीमला में जो हो रहा है, वह गुंडागर्दी है।” मंदिर 17 नवंबर को मंडलम्-मकरविलक्कु उत्सव के लिए खुला था। उच्चतम न्यायालय ने सभी आयुवर्ग की महिलाओं को मंदिर में प्रवेश की अनुमति देने का आदेश दिया है जिसे राज्य सरकार ने लागू करने का फैसला किया है।
सरकार के इस फैसले के खिलाफ श्रद्धालु एवं दक्षिणपंथी संगठन व्यापक प्रदर्शन कर रहे हैं। न्यायालय के आदेश से पहले 10 वर्ष से 50 वर्ष तक की आयु की महिलाओं का सबरीमला मंदिर में दर्शन करना वर्जित था। पुलिस के अनुसार हाल में मंदिर के कपाट खुलने के बाद तीन महिलाएं अब तक मंदिर के दर्शन कर चुकी है। मंदिर 20 जनवरी को बंद हो जाएगा।