अखिल भारतीय वैश्व महासम्मेलन ने झारखंड में स्थित सम्मेद शिखर को पर्यटक स्थल घोषित करने पर विरोध करते हुए झारखंड सरकार को चेतावनी दी है। और कहा कि इस निर्णय को अगर वापस नहीं लिया गया तो वैश्य समाज सड़कों पर उतर आएगा।
जैन धर्म का उदगम भारत से ही हुआ
महासम्मेलन के जिलाध्यक्ष विमल बिहाणी ने कहा कि जैन धर्म का उदगम भारत से ही हुआ है। सम्मेद शिखर इस देश की 2500 वर्ष पुरानी संस्कृति का प्रतिबिंब एवं इतिहास है। पर्यटन स्थल घोषित होने से तीर्थ स्थल के 100-200 मीटर के दायरे में शराब और मांस बिकने लगेगा,जो कि शांत एवं मौन रहने वाले जैन समाज और वैश्य समाज को कतई मंजूर नहीं है। झारखंड सरकार इस आदिवासी क्षेत्र को पर्यटन स्थल घोषित कर अपना वोट बैंक बढ़ना चाहती है।
इस फैसले के बाद अलग- अलग राज्यों में विरोध
महासम्मेलन के सचिव सुशील बांठिया ने बताया कि झारखंड सरकार को भेजे ज्ञापन में गया है कि पर्यटन स्थल घोषित करने के विरोध में एक जैन संत देह त्याग कर चुके हैं। हाल ही में जयपुर के सांगानेर स्थित संघीजी दिगंबर जैन मंदिर के आचार्य सुनील सागर महाराज के संघस्थ मुनि समर्थसागर ने अन्न त्याग दिया 15 करोड़ वैश्य एकमत होकर इसका विरोध के लिए सड़कों पर उतरेंगेहैस अखिल भारतीय वैश्य महासम्मेलन पर्यटन स्थल घोषित करने का विरोध करता है। यह निर्णय नहीं बदलने की दशा में देश-विदेश के 15 करोड़ वैश्य एकमत होकर इसका विरोध के लिए सड़कों पर उतरेगा। इसका झारखंड सरकार को भविष्य में बड़ खामियाजा भुगतना पड़गा।
जैन समाज ने भावनाओं को समझने का आग्रह किया
झारखंड सरकार से अपना निर्णय बदल कर जैन समाज की भावनाओं को समझने का आग्रह किया गया है। इस मामले में केंद, सरकार अथवा सर्वोच्च न्यायालय भी यदि स्वविवेक से आगे आए और संवैधानिक अधिकारों की रक्षा आस्था के सम्मान की प्रतिष्ठा के लिए तुरंत इस फैसले के निरस्तीकरण का आदेश जारी करे