गोवा के राज्यपाल सत्यपाल मलिक के तबादले को लेकर विपक्ष राज्य की सत्तारूढ़ बीजेपी पर हमलावर है। विपक्षी दलों का कहना है कि राज्यपाल का तबादला ‘‘सच’’ बोलने और कोविड-19, पर्यावरण तथा महादयी नदी जल विवाद जैसे मूल मुद्दों पर कड़ा रुख अपनाने के कारण किया गया है।
राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता दिगंबर कामत ने एक बयान में कहा, ‘‘कोविड-19 वैश्विक महामारी से निपटने और प्रबंधन के अलावा, कर्नाटक द्वारा महादयी नदी के जल को मोड़ने, अर्थव्यवस्था में नई जान फूंकने, मितव्ययिता उपाय जैसे प्रमुख मुद्दों पर राज्यपाल सच और हर गोवावासी की भावनाओं के साथ खड़े हुए।’’
उन्होंने कहा, ‘‘सच और बीजेपी एक साथ नहीं रह सकते।’’ कामत ने कहा कि दुख की बात है कि मलिक जैसे ईमानदार व्यक्ति का ऐसे समय में तबादला कर दिया गया, जब गोवा को उनकी सबसे ज्यादा जरूरत थी। उन्होंने कहा कि मलिक ने आम आदमी, पर्यावरण और प्रकृति की रक्षा करने के एकमात्र उद्देश्य से ही हर कदम उठाया।
कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘मलिक हमेशा राज्य की खराब अर्थव्यवस्था को लेकर चिंतित रहे और लगातार सरकार को मितव्ययिता उपाय अपनाने और फिजूल खर्च रोकने की सलाह देते थे।’’ उन्होंने कहा कि उनके तबादले से गोवा के लोगों को यकीनन दुख हो रहा होगा। गोवा फॉरवर्ड पार्टी (जीएफपी) के प्रमुख विजय सरदेसाई ने बताया कि मलिक ने तटीय राज्य में कोविड-19 की स्थिति पर सच बोला।
सरदेसाई ने एक बयान में कहा, ‘‘उन्होंने महादयी मुद्दे और नए राज भवन के विरोध सहित अन्य मितव्ययिता उपाय को लेकर कड़ा रुख अपनाया। उन्होंने अशिष्ट होने को लेकर गोवा के मुख्यमंत्री पर भी सवाल उठाए।’’ जीएफपी प्रमुख ने महाराष्ट्र के राज्यपाल को अतिरिक्त कार्यभार सौंपे जाने को लेकर भी सवाल उठाए।
उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र के राज्यपाल को अतिरिक्त प्रभार देने को कैसे सही ठहराया जा सकता है, जबकि महाराष्ट्र में कोविड-19 के सबसे अधिक मामले हैं और उससे सबसे अधिक लोगों की जान भी वहीं गई है। राज्य स्वास्थ्य विभाग के अनुसार गोवा में 17 अगस्त तक कोविड-19 के 11,994 मामले थे।