देहरादून : वन महकमा अब क्लाउड सीडिंग (कृत्रिम बारिश) तकनीक अपनाने पर गंभीरता से विचार कर रहा है। इसे लेकर विभाग ने होमवर्क प्रारंभ कर दिया है। वन विभाग के मुखिया प्रमुख मुख्य वन संरक्षक (पीसीसीएफ) जय राज के अनुसार इस तकनीक के उपयोग के मद्देनजर वित्तीय संसाधन जुटाने पर ध्यान केंद्रित किया गया है। संभव है कि अगले साल से फायर सीजन में जंगलों की आग बुझाने के लिए कृत्रिम बारिश का इस्तेमाल हो।
71 फीसद वन भू-भाग वाले उत्तराखंड में हर साल फायर सीजन (15 फरवरी से मानसून आने तक) जंगलों के धधकने से बड़े पैमाने पर वन संपदा तबाह होती आ रही है। आग के विकराल रूप धारण करने पर इसे बुझाने के लिए महकमे को इंद्रदेव का मुंह ताकना पड़ता है।
इस साल की ही बात करें तो फरवरी से अप्रैल तक मौसम के साथ देने से आग की 88 घटनाएं हुई थीं, मगर एक मई से अब तक इनमें 1731 का इजाफा हो गया। 2521 हेक्टेयर वन क्षेत्र प्रभावित हुआ है। हर साल की इस दिक्कत को देखते हुए वन महकमा अब कृत्रिम बारिश के विकल्प को लेकर गंभीर हुआ है।
विदेशों में होता है प्रयोग
वन मुख्यालय में पत्रकारों से बातचीत में पीसीसीएफ जय राज ने कहा कि क्लाउड सीडिंग तकनीक ऐसी है, जिससे कहीं के बादल को कहीं लाकर बारिश कराई जा सकती है। जंगल की आग पर नियंत्रण के लिए सबसे बेहतर विकल्प है और विदेशों में कई जगह इसका प्रयोग भी होता है। पीसीसीएफ कहते हैं कि क्लाउड सीडिंग को लेकर विभाग ने होमवर्क शुरू कर दिया है। इस संबंध में बातचीत चल रही है।
अब कृत्रिम बारिश तकनीक के इस्तेमाल के मद्देनजर वित्तीय संसाधनों की व्यवस्था जुटाने पर भी फोकस किया गया है। उन्होंने कहा कि सबकुछ ठीक रहा तो अगले साल से फायर सीजन में जंगलों की आग बुझाने में क्लाउड सीडिंग का इस्तेमाल शुरू हो जाएगा। पीसीसीएफ ने इस फायर सीजन में विभाग की ओर से उठाए गए कदमों की जानकारी भी दी।
– सुनील तलवाड़