400 साल बाद मिली मैसूर राजघराने को श्राप से मुक्ति , जानिए ! कब और क्यों दिया था श्राप - Punjab Kesari
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400 साल बाद मिली मैसूर राजघराने को श्राप से मुक्ति , जानिए ! कब और क्यों दिया था श्राप

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आज हम आपको बताने जा रहे है एक ऐसे राजघराने के बारे में , जिसे 400 साल बाद मिली है श्राप से मुक्ति ! जी हाँ , ये मैसूर का वॉडेयार राजघराने है जिसे 400 से पहले श्राप मिला था जो आखिरकार अब खत्म हुआ है और मैसूर के वाडियार राजघराने को अपना वारिस मिल गया है। मैसूर के वॉडेयार राजघराने में इतने सालों बाद खुशियां आई हैं। सैकड़ों सालों बाद यह पहली बार है जब राजघराने में कोई संतान प्राकृतिक रूप से हुई है।

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आपको बता दे की  मैसूर के वॉडेयार राजघराने में 400 साल बाद किसी शिशु का जन्म हुआ है। बुधवार की रात्रि शाही परिवार के घर एक पुत्र का जन्म हुआ। इससे इस महल में खुशी का माहौल है। हर किसी के चेहरे पर उल्लास है। आखिर सदियों बाद उनके महल के राजकुमार को जो जन्म हुआ है। इससे पहले 400 सालों से इस राजवंश का स्वाभाविक व प्राकृतिक ढंग से विस्तार नहीं हो रहा था।

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बता दे की राजा यदुवीर कृष्णदत्ता भी गोद ली हुई संतान हैं। बुधवार रात उनकी पत्नी त्रिशिका ने एक अस्पताल में बेटे को जन्म दिया। त्रिशिका राजस्थान के डूंगरपुर राजघराने की बेटी हैं और 2016 में उनका विवाह यदुवीर से हुआ था।

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यदुवीर को मैसूर के दिवंगत राजा श्रीकांतदत्त वाडियार एवं उनकी पत्नी प्रमोददेवी वाडियार ने कुछ साल पूर्व गोद लिया था।

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जानिए कैसे मिला था श्राप !
मान्यता है कि 1612 में दक्षिण में सबसे शक्तिशाली माने जाने वाले विजयनगर साम्राज्य के पतन के बाद वाडियार राजा के आदेश पर यहां की धनसंपत्ति लूट ली गई। हार के बाद विजयनगर की तात्कालीन रानी अलमेलम्मा एकांतवास में थीं लेकिन उनके पास काफी हीरे-जवाहरात और गहने थे।

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वाडियार ने महारानी के पास दूत भेजकर उन्हें गहने सौंप देने के लिए कहा क्योंकि वे गहने और हीरे-जवाहरात अब वाडियार की शाही संपत्ति का हिस्सा बन चुके थे.। लेकिन महारानी ने गहने देने से इनकार कर दिया जिसके बाद वाडियार की सेना खजाने पर जबरदस्ती कब्जा करने की कोशिश करने लगी।

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ऐसा बताया जाता है कि इससे आहत रानी अलमेलम्मा ने वाडियार राजा को श्राप दिया कि जिस तरह उनका घर उजाड़ा गया है उसी तरह उनका देश वीरान हो जाएगा. उन्होंने शाप दिया कि इस वंश के राजा की गोद हमेशा सूनी रहेगी। इसके बाद महारानी ने कावेरी नदी में कूदकर आत्महत्या कर ली।

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तब से अब तक इस राजघराने में किसी राजा के दत्तक पुत्र को ही राजगद्दी मिलती रही है। यह इतने सालों में पहली बार है कि राजगद्दी के उत्तराधिकारी के घर बेटा पैदा हुआ है।

Wadiyar dynasty

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आपको बता दे की राज परंपरा आगे बढ़ाने पुत्र को गोद लेते आए हैं। कहा तो यह भी जाता है कि इस श्राप को हटाने के लिए वाडियार राजवंश लम्बे समय से प्रयास कर रहा था। यहां तक कि राजा वोडियार ने अलमेलम्मा की मैसूर में मूर्ति भी लगाई थी। लेटेस्ट खबरों के लिए यहां क्लिक  करें।

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