देहरादून : मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत के निर्देशानुसार मनरेगा के तहत पिरूल एकत्रीकरण (पर्वतीय क्षेत्रों में चीड़ की सूखी पत्तियां) के कार्य को शामिल करने के लिए भारत सरकार को प्रस्ताव भेजा जाएगा। इसके साथ ही राज्य में मनरेगा के तहत सुगन्धित पौधों के उत्पादन व ऐराॅमेटिक कलस्टर विकसित किए जाएंगे। राज्य में पहले से ही ऐराॅमा पार्क विकसित किए जा रहे है।
राज्य के लगभग 20,000 कुपोषित बच्चों की माताओं को राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार मिशन से जोड़ा जाएगा। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों से अपील की कि प्रत्येक अधिकारी सोशल रिस्पाॅसिबिलिटी के तहत 2-2 कुपोषित बच्चों को गोद ले। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि कुपोषित बच्चों के परिवारों की भोजन की आदतों, आर्थिक, सामाजिक पृष्ठभूमि का विस्तृत अध्ययन किया जाए।
मुख्यमंत्री ने सोमवार को सचिवालय में उत्तराखण्ड राज्य रोजगार गांरटी परिषद (मनेरगा) के कार्यो की समीक्षा के दौरान सभी जनपदों के मुख्य विकास अधिकारियों को निर्देश दिए की मनेरगा के तहत वर्मी कपोस्ट के साथ ही शिवांश खाद के निर्माण को प्रोत्साहित किया जाए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में ग्रामीण हाट कल्चर तेजी से विकसित हो रहा है। ग्रामीण हाट बनाने के लिए भूमि की समुचित व्यवस्था सुनिश्चित की जाए व नए ग्रामीण हाट बनाए जाएं। मुख्यमंत्री ने बैठक में उपस्थित ग्राम प्रधान व अन्य जन प्रतिनिधियों की मनरेगा के तहत समय पर भुगतान न होने की शिकायतों को गम्भीरता से लेते हुए प्रमुख सचिव ग्राम्य विकास को प्रकरण की जांच के निर्देश दिए।
15 जनवरी 2019 तक इसे सभी जनपदों में लागू कर दिया जाएगा। बैठक में अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, प्रमुख सचिव मनीषा पंवार, सभी जिलों के मुख्य विकास अधिकारी व अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
– सुनील तलवाड़