केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफ) ने बुधवार को कर्नाटक को लिखे अपने पूर्व पत्र को बुधवार को निलंबित रख दिया। पत्र में यह कहा गया था कि महादयी नदी पर कालसा बंदुरी परियोजना के लिए पर्यावरण मंजूरी की आवश्यकता नहीं है।
मंत्रालय का यह कदम ऐसे समय में सामने आया है जब गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर से बुधवार को मुलाकात कर इस पत्र को वापस लेने का अनुरोध किया। सावंत जीएसटी परिषद की बैठक में शामिल होने के लिए राष्ट्रीय राजधानी में हैं।
बैठक के तुरंत बाद एमओईएफ ने कर्नाटक नीरावरी निगम लिमिटेड के मुख्य अभियंता को पत्र लिखकर सूचित किया कि मंत्रालय 17 अक्टूबर, 2019 को लिखे अपने पत्र को निलंबित रखना चाहता है। पर्यावरण मंत्रालय के अक्टूबर के पत्र पर कड़ा विरोध जताते हुए गोवा सरकार मांग कर रही थी कि इसे या तो वापस ले लिया जाए या फिर इस पर कोई कार्रवाई नहीं हो।
मंत्रालय के उपनिदेशक मोहित सक्सेना ने बुधवार को कर्नाटक को पत्र लिखा कि बाद में मिले तथ्यों के आधार पर मंत्रालय यह मानता है कि 14 अगस्त, 2018 को महादयी नदी जल विवाद न्यायाधिकरण के निर्णय के स्पष्टीकरण के लिए गोवा सरकार एवं कर्नाटक द्वारा दायर आवेदन अब भी लंबित हैं। पत्र में लिखा है, ‘‘इस निर्णय को गोवा सरकार और महाराष्ट्र सरकार ने उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी है।’’ इसने कहा, ‘‘इस संबंध में सभी मामलों पर फैसला लंबित रहने की वजह से मंत्रालय पूर्व में लिखे अपने पत्र को निलंबित रखना चाहता है।’’