मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) का एक संयुक्त प्रतिनिधिमंडल 6 जुलाई से 8 जुलाई तक हिंसा प्रभावित मणिपुर का दौरा कर स्थिति का जायजा लेगा। माकपा के पोलित ब्यूरो की एक आधिकारिक विज्ञप्ति के अनुसार, प्रतिनिधिमंडल चुराचांदपुर और इंफाल घाटी दोनों में सभी जातीय समुदायों के लोगों से मुलाकात करेगा।
विज्ञप्ति में कहा गया है, “प्रतिनिधिमंडल 7 जुलाई को शाम 5 बजे राज्यपाल से मिलेगा और 8 जुलाई को मीडिया को संबोधित कर अपने अनुभव साझा करेगा।” बयान में आगे कहा गया है कि “मणिपुर लगातार घातक उथल-पुथल में है। मौतें जारी हैं और राहत शिविरों और अन्य जगहों पर लोगों की परेशानी भी बढ़ रही है। अविश्वास और असुरक्षा का माहौल है। इंटरनेट अभी भी बंद है और मणिपुर को देश के बाकी हिस्सों से बंद कर दिया गया है। दुर्भाग्य से, अधिकांश मेनस्ट्रीम मीडिया मणिपुर के विभिन्न जातीय समूहों की दुर्दशा को कवर नहीं करते हैं।”
120 से अधिक लोगों की जा चुकी है जान
प्रतिनिधिमंडल में माकपा के राज्यसभा सदस्य विकासरंजन भट्टाचार्य और जॉन ब्रिटास, भाकपा से राज्यसभा सदस्य बिनॉय विश्वम और संदोष कुमार पी व भाकपा से लोकसभा सदस्य सुब्बारायन शामिल हैं। उल्लेखनीय है कि मणिपुर में मेइती और कुकी समुदायों के बीच झड़पों में 120 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है। पहली बार हिंसा 3 मई को तब भड़की जब मेइती समुदाय को अनुसूचित जनजाति (ST) का दर्जा दिए जाने की मांग के विरोध में राज्य के पहाड़ी जिलों में जनजातीय एकजुटता मार्च आयोजित किया गया था।