मिदनापुर में PM की रैली में गिरे टेंट पर केंद्र की रिपोर्ट में ममता सरकार जिम्मेदार, जांच रिपोर्ट में हुआ खुलासा - Punjab Kesari
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मिदनापुर में PM की रैली में गिरे टेंट पर केंद्र की रिपोर्ट में ममता सरकार जिम्मेदार, जांच रिपोर्ट में हुआ खुलासा

ममता बनर्जी सरकार और केंद्र के बीच तनाव बढ़ने का एक और कारण तैयार होता दिख रहा है

पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार और केंद्र के बीच तनाव बढ़ने का एक और कारण तैयार होता दिख रहा है आपको बता दे कि पश्चिम बंगाल के मिदनापुर में पीएम मोदी की रैली के दौरान टेंट गिरने की घटना पर केंद्र की रिपोर्ट आ गई है। रिपोर्ट में हादसे के लिए ममता सरकार को ज़िम्मेदार ठहराया गया है। रिपोर्ट में ऐसी बातें सामने आई हैं कि पीएम की सुरक्षा में कई दरारें थीं। जांच रिपोर्ट में कहा गया कि रैली स्थल के 5 किलोमीटर तक पुलिस नहीं थी, साथ ही एसपीजी को भी पूरी मदद नहीं मिली।

वही ,जांच टीम ने कहा है कि अडवांस सिक्यॉरिटी लाइजन टीम (अग्रिम सुरक्षा संपर्क टीम) को पर्याप्त सहयोग उपलब्ध नहीं कराया गया। केंद्रीय गृह मंत्रालय को सौंपी गई रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रधानमंत्री की रैली के दौरान पांच किलोमीटर के दायरे में राज्य पुलिस के पर्याप्त कर्मी तैनात नहीं किए गए थे।

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जांच रिपोर्ट में यह भी पाया गया कि प्रधानमंत्री के दौरे से दो सप्ताह पहले राज्य पहुंचने वाली अडवांस सिक्योरिटी लाइजनिंग टीम को पर्याप्त साजोसामान संबंधी मदद उपलब्ध नहीं कराई गई। पंडाल गिरने की घटना में घायल हुए लोगों से मिलने प्रधानमंत्री अपने कार्यक्रम के बाद अस्पताल पहुंचे थे।

गौरतलब है कि 17 जुलाई को पश्चिम बंगाल के मिदनापुर में हुए पीएम की रैली के दौरान पंडाल गिरने से कम से कम 90 लोग घायल हुए थे। सूत्रों के मुताबिक, टीम ने पुलिस प्रशासन के मामले में ‘कोऑर्डिनेशन की गंभीर कमी’ पाई। रैली के दौरान ‘सुरक्षा के कई पहलुओं’ को नजरअंदाज किया गया था।

सीनियर अधिकारी मौके पर मौजूद नहीं थे। यह भी देखा गया कि टेंट गिरने से बिजली चली गई थी, जिसके चलते पीएम के टेलीप्रॉम्पटर समेत सभी सिक्यॉरिटी गैजेट्स बंद हो गए थे। इसके बाद बाकी प्रोग्राम के दौरान सिर्फ माइक काम कर रहा था। सूत्रों ने बताया कि इस वजह से कुछ देर मोदी को बिना टेलीप्रॉम्टर देखे भाषण देना पड़ा था।

टीम ने यह भी पाया कि जिले और जोनल ऐडमिनिस्ट्रेशन में मौजूद ज्यादातर बड़े अधिकारी मीटिंग वेन्यू से कम से कम 5-7 किमी की दूरी पर मौजूद थे और उनमें से किसी ने भी एसपीजी और केंद्र सरकार के अन्य अधिकारियों की तरफ से लगातार आ रही फोन कॉल का जवाब नहीं दिया।

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