Maharashtra Politics: अजित पवार को शरद पवार की पार्टी में क्यों नहीं मिल रहा मान सम्मान - Punjab Kesari
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Maharashtra Politics: अजित पवार को शरद पवार की पार्टी में क्यों नहीं मिल रहा मान सम्मान

इन दिनों सबकी राजनीति एक तरफ और महाराष्ट्र की राजनीति एक तरफ नजर आ रही है क्योंकी यहां

इन दिनों सबकी राजनीति एक तरफ और महाराष्ट्र की राजनीति एक तरफ नजर आ रही है क्योंकी यहां कभी एकनाथ शिंदे संजय राउत या फिर अजीत पवार  की चर्चा होती ही रहती है। इन सबके बीच अजीत पवार की राजनीति पर सवाल उठ रहे है। क्योंकी अजीत पवार को एनसीपी में बड़ी जिम्मेदारी न मिलने पर वो नाराज नजर आते है  उनकी नाराजगी बताती है कि वो राजनीति में लंबी छलांग लगाना चाहते हैं लेकिन उनके रास्ते में उनके चाचा शरद पवार ही बाधक बनते रहे हैं।
शरद पवार अपने दम पर पहचान नहीं बना पाए
आलम यह है कि अजीत पवार न तो शरद पवार की राजनीतिक विरासत के हकदार सार्वजनिक तौर पर बन पाए हैं और न ही शरद पवार अपने दम पर पहचान बना पाए है। उनका हाल बिल्कुल शिवपाल की तरह हो चुका है। शरद पवार उन्हें बड़ी जिम्मेदारी नहीं दे रहे है जिसके चलते अजीत का काम बिगड़ता नजर आ रहा है ।
 शरद पवार  इस्तीफे के बाद बने बड़े नेता
आपको बता दे  शरद पवार को एनसीपी का सबसे बड़ा नेता माना जाता है जब उनके इस्तीफे की बात आई थी तो पवार को फिर से अपनी पार्टी की कमान संभालने को तैयार हो गए।  जाहिर है शरद पवार की इस्तीफे की राजनीति ने पार्टी में उन्हें सबसे बड़ा नेता साबित किया और इसी अवसर की तलाश में शरद पवार ने एनसीपी में दो कार्यकारी अध्यक्ष और प्रदेश में अध्यक्ष के नामों की घोषणा कर अजीत पवार को पीछे धकेल दिया।
शिवपाल यादव की तरह ही अजीत पवार के साथ हुआ
भतीजे अजीत पवार को जहां चाचा शरद पवार ने नकेल कसकर उन्हें अपने हद में रहने को मजबूरकर  दिया है वहीं समाजवादी पार्टी में चाचा शिवपाल यादव को भतीजे अखिलेश ने साल 2018 में पार्टी से निकलने को मजबूर कर दिया था। जाहिर है कि चाचा शिवपाल यादव सपा में 2022 में फिर से शामिल  हो गए हैं लेकिन उन्हें राष्ट्रीय महासचिव के पद से ही नवाजा गया है। इस पद पर समाजवादी पार्टी में कई नेता हैं जबकि मुलायम सिंह के नेतृत्व में चाचा शिवपाल यादव राष्ट्रीय प्रमुख महासचिव के पद पर काम कर चुके है।
अजीत पवार पार्टी के दूसरे नंबर के नेता भी नहीं
इन सबके होते हुए भी अजीत पवार अपनी पहचान बनाने की कोशिश कर रहे है। अजीत पवार हर हाल में सीएम बनना चाहते हैं लेकिन उनके इस राह में उनके चाचा ही रोड़ा अटकाते रहे हैं ऐसा राजनीतिक गलियारे में कहा जाता है।  चाचा शरद पवार ने राज्य में अजीत पवार को प्रमुखता जरूर दी है वहीं केन्द्र की राजनीति में सुप्रिया सूले प्रभावशाली दिखी हैं। लेकिन पार्टी में नंबर दो की हैसियत को लेकर अजीत पवार की कोशिश नाकामयाब ही साबित हुई है।
2009  में ही अजीत पवार लगा था बड़ा झटका
अजीत पवार के दर्द की वजह उन्हें साल 2009 में डिप्टी सीएम नहीं बनाकर छगन भुजबल को प्राथमिकता देना था। ये बात और है कि साल 2010 में छगन भुजबल को इस्तीफा देना पड़ा था और अजीत पवार डिप्टी सीएम बनाए गए थे। अजीत पवार ने 2003 मे कई एसे बयान दिए थे जिसकी वजह से पार्टी की और उनकी खुब किरकिरी हुई थी। इस दौरान उनपर कई गंभीर आरोप भी लगे थे । इन सबके होते हुए भी  शरद पवार से अजीत पवार को ज्यादा उम्मीद हो गई है लेकिन शरद पवार सुप्रीया सुले को ही पार्टी में बड़ी जिम्मेदारी का मन बना चुके है। यदि एसा ही रहा तो अजीत पवार राजनीति में पहचान नहीं बना पाएंगे।

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