Maharashtra: मराठा आरक्षण के मुद्दे पर जारी विवाद, सुप्रिया सुले ने सरकार पर साधा निशाना - Punjab Kesari
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Maharashtra: मराठा आरक्षण के मुद्दे पर जारी विवाद, सुप्रिया सुले ने सरकार पर साधा निशाना

Maharashtra: इस समय महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण की मांग को लेकर विवाद काफी बाद गया है।इस दौरान मनोज

Maharashtra: इस समय महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण की मांग को लेकर विवाद काफी बाद गया है।इस दौरान मनोज जारांगे अभी भी भूख हड़ताल पर बैठे हुए हैं। वहीं सरकार की ओर से जारांगे को मनाने की कोशिशें की जा रही हैं। हालांकि, वो अपनी मांगों पर पूरी तरह से अड़े हुए हैं। अब इस मुद्दे पर एनसीपी सांसद सुप्रिया सुले ने राज्य सरकार पर हमला बोला है।
 मौजूदा सरकार को भी इसका कोई रास्ता निकालना चाहिए-सुप्रिया सुले 
आपको बता दें सुप्रिया सुले ने कहा कि महाविकास अघाड़ी सरकार के दौरान जब राजेश टोपे अभिभावक मंत्री थे, तब मनोज जारांगे 109 दिनों तक आंदोलन पर बैठे थे, उस समय राजेश टोपे ने प्रेम और शांति से बात करके रास्ता बनाया था। साथ ही मौजूदा सरकार को भी इसका कोई रास्ता निकालना चाहिए। सरकार किसलिए है, यह ट्रेन, हेलीकॉप्टर और निजी विमानों में यात्रा करने के लिए नहीं है। 
बता दें सुप्रिया सुले ने कहा, “महाविकास अघाड़ी सरकार के दौरान, यह मनोज जारांगे ही थे जो 109 दिनों तक आंदोलन पर बैठे थे। उस समय संरक्षक मंत्री राजेश टोपे ने अपना रास्ता बनाया था।अब इस सरकार को भी कोई रास्ता निकालना चाहिए.” उनके आंदोलन पर लाठीचार्ज कैसा? ऐसा सवाल उठाकर हमने प्यार और मीठी-मीठी बातों से आंदोलन को सुलझाया और इस मौके पर सुप्रिया सुले ने जलियांवाला बाग बनाकर प्रदर्शनकारियों और महिलाओं के सिर फोड़ने का तंज भी कसा। 
क्या है पूरा मामला? 
बता दें 29 अगस्त को मराठाओं के लिए नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण की मांग को लेकर हजारों प्रदर्शनकारी जालना जिले के अंतरवली सारथी गांव में इकट्ठा हुए थे। यहां मराठा मोर्चा के संयोजक और आंदोलन का नेतृत्व कर रहे मनोज जारांगे भूख हड़ताल पर बैठे थे। जब जारांगे की हालत बिगड़ने लगी तो पुलिस ने उनको भूख हड़ताल खत्म कर अस्पताल में भर्ती होने के लिए मजबूर किया। इसको लेकर आंदोलनकारी नाराज हो गए और प्रदर्शन करने लगे। 
मराठा आरक्षण की लड़ाई लंबे समय से लड़ी जा रही
दरअसल, राज्य में मराठा आरक्षण की लड़ाई लंबे समय से लड़ी जा रही है, लेकिन ऐसा नहीं है कि सरकार ने इस ओर कोई कदम नहीं उठाया।राज्य सरकार तो मराठाओं को फिर से आरक्षण देने की पूरी कोशिश में हैं, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण की सीमा की जो दीवार खड़ी कर रखी है, उसे भेद पाना बेहद मुश्किल है। 

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