मध्य प्रदेश : निकाय चुनावों में AAP एवं AIMIM तीसरी राजनीतिक शक्ति के रूप में उभरी - Punjab Kesari
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मध्य प्रदेश : निकाय चुनावों में AAP एवं AIMIM तीसरी राजनीतिक शक्ति के रूप में उभरी

मध्य प्रदेश में हाल ही में हुए स्थानीय निकाय चुनाव में आम आदमी पार्टी (आप) ने महापौर की

मध्य प्रदेश में हाल ही में हुए स्थानीय निकाय चुनाव में आम आदमी पार्टी (आप) ने महापौर की एक एवं 40 पार्षद सीट जीतीं जबकि ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद उल मुस्लिमीन ने सात पार्षद सीटों पर जीत दर्ज कर ली । प्रदेश में अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराई।इसी के साथ ये दोनों दल भी प्रदेश में तीसरी ताकत के रूप में उभर कर सामने आये हैं। अब तक प्रदेश में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) एवं समाजवादी पार्टी (सपा) ही तीसरी ताकत के रूप में जाने जाते थे।प्रदेश में अब तक सत्तारूढ़ भाजपा एवं मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस की ही राजनीति रही है और स्थानीय निकाय चुनावों में भी इन्हीं दोनों पार्टियों का दबदबा रहा है।
कांग्रेस राज्य में तीसरी ताकत के दावेदारों की बढ़ती संख्या से बेपरवाह 
अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली आप एवं असदुद्दीन ओवैसी के नेतृत्व वाली एआईएमआईएम के इस प्रदर्शन पर मध्य प्रदेश कांग्रेस ने दोनों पार्टियों को भाजपा की ‘बी-टीम’ करार दिया है।अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली आप ने प्रदेश में अपने पहले ही नगरीय निकाय चुनाव में 6.3 प्रतिशत वोट शेयर हासिल करने का दावा किया है।
हालांकि, भाजपा और कांग्रेस राज्य में तीसरी ताकत के दावेदारों की बढ़ती संख्या से बेपरवाह दिखाई दे रही है।आप के प्रदेश अध्यक्ष पंकज सिंह ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘हमें शहरी निकाय चुनावों में 6.3 प्रतिशत वोट मिले। प्रदेश के कुल 14 नगर निगमों के लिए हुए महापौर पद के चुनाव में हमारी पार्टी का उम्मीदवार सिंगरौली से जीता और ग्वालियर एवं रीवा में हम तीसरे स्थान पर रहे। ग्वालियर में हमें लगभग 46,000 मत मिले।’’उन्होंने कहा कि शहरी निकायों में पार्षदों के पदों के लिए हमारी पार्टी ने लगभग 1,500 उम्मीदवारों को मैदान में उतारा था, जिनमें से 40 जीते थे, जबकि 135 से 140 दूसरे नंबर पर रहे।
जनता भाजपा और कांग्रेस दोनों से नाराज 
सिंह ने दावा किया कि गैर दलीय आधार पर हुए पंचायत चुनावों में आप समर्थित उम्मीदवारों ने जिला पंचायत सदस्यों के 10 पदों, 23 जनपद सदस्यों, 103 सरपंचों और 250 पंचों पर जीत हासिल की।उन्होंने कहा कि पार्टी 2023 के विधानसभा चुनावों में मध्य प्रदेश के मतदाताओं को एक मजबूत तीसरा विकल्प देगी, क्योंकि जनता भाजपा और कांग्रेस दोनों से नाराज हैं।आप नेता ने कहा, ‘‘हमारी पार्टी के प्रमुख (केजरीवाल) ने पहले ही हमें सभी 230 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए तैयार रहने के लिए कहा है। हम बूथ स्तर से ही अपने संगठन को मजबूत करने और जन-हितैषी मुद्दों के लिए लड़ने के लिए कमर कसने की प्रक्रिया में हैं।‘‘उन्होंने कहा,‘‘ आप ने 2014 के लोकसभा चुनाव में सभी 29 सीटों पर चुनाव लड़ा था, लेकिन उसे दो प्रतिशत वोट मिले थे, जबकि 2018 के विधानसभा चुनावों में पार्टी को केवल एक प्रतिशत वोट मिले थे। लेकिन इस बार स्थानीय निकाय चुनावों में हमने शानदार प्रदर्शन किया है और इसमें हमारी पार्टी का वोट प्रतिशत बढ़कर छह प्रतिशत हो गया।’’
मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव लड़ने के बारे में फैसला नहीं 
मध्य प्रदेश एआईएमआईएम प्रभारी सैयद मिन्हाजुद्दीन ने कहा, ‘‘ हमारी पार्टी ने प्रदेश में हाल ही में हुए स्थानीय निकाय चुनावों में 51 उम्मीदवारों को मैदान में उतारा था, जिनमें से दो महापौर पदों (खंडवा और बुरहानपुर में) के लिए और बाकी 49 पार्षदों के लिए थे।’’उन्होंने कहा कि हालांकि, वोट शेयर के आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं, लेकिन एआईएमआईएम के सात उम्मीदवार पार्षद बन गए हैं।
मिन्हाजुद्दीन ने कहा कि असदुद्दीन ओवैसी के नेतृत्व वाली एआईएमआईएम ने अभी तक मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव लड़ने के बारे में फैसला नहीं किया है।उन्होंने कहा, ‘‘यह हमारी पार्टी के प्रमुख (ओवैसी) और संगठन पर निर्भर करेगा। लेकिन मुझे व्यक्तिगत रूप से लगता है कि पार्टी नगरीय निकाय चुनावों में अपने अच्छे प्रदर्शन के आधार पर विधानसभा चुनाव लड़ सकती है।’’स्थानीय चुनावों में उनकी पार्टी के खराब प्रदर्शन के बारे में पूछे जाने पर बसपा प्रदेश अध्यक्ष रमाकांत पिप्पल ने कहा कि पार्टी का मजबूत आधार गांवों में है और शहरी निकाय चुनावों में उसका प्रदर्शन ज्यादा मायने नहीं रखता है।
मध्य प्रदेश में मतदाताओं के लिए तीसरे मोर्चे के नए विकल्प के बारे में पूछे
उन्होंने दावा किया,‘‘ फिर भी शहरी निकाय चुनावों में पांच दर्जन से अधिक हमारी पार्टी के उम्मीदवारों ने जीत हासिल की है और आंकड़े अभी भी जुटाए जा रहे हैं।’’हालांकि, पिप्पल ने यह स्पष्ट किया कि 2023 का विधानसभा चुनाव बसपा सभी सीटों पर लड़ेगी।सपा के प्रदेश अध्यक्ष आर एस पटेल ने कहा कि उनकी पार्टी पूरे समर्पण और उत्साह के साथ नगरी निकाय चुनाव नहीं लड़ सकी क्योंकि उसका संगठनात्मक ढांचा नहीं है।
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उन्होंने कहा, ‘‘चुनाव में केवल 5-6 उम्मीदवार (सपा के) जीते हैं क्योंकि मैंने हाल ही में कार्यभार संभाला था। हालांकि, हमने विधानसभा चुनावों की तैयारी पूरी ईमानदारी से शुरू कर दी है और पूरी ताकत के साथ लड़ेंगे।’’मध्य प्रदेश में मतदाताओं के लिए तीसरे मोर्चे के नए विकल्प के बारे में पूछे जाने पर, प्रदेश कांग्रेस मीडिया प्रकोष्ठ के अध्यक्ष केके मिश्रा ने कहा, ‘‘आप और एआईएमआईएम सत्तारूढ़ भाजपा की ‘बी-टीम’ है। लेकिन, इससे हमारी पार्टी की संभावनाओं पर कोई असर नहीं पड़ेगा।’’वहीं, प्रदेश भाजपा सचिव रजनीश अग्रवाल ने कहा कि मध्य प्रदेश में जब भी तीसरी ताकत मजबूत होती है, वे कांग्रेस के वोटों में सेंध मारते हैं।

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