कलकत्ता हाई कोर्ट ने बीजेपी को तीन रथ यात्राओं की अनुमति नहीं देने संबंधी पश्चिम बंगाल सरकार का आदेश रद्द किया। इस मामले में बीजेपी की राहत मिली है। पश्चिम बंगाल सरकार ने बुधवार को कलकत्ता हाई कोर्ट से कहा कि सांप्रदायिक सौहार्द में खलल पड़ने का अंदेशा जताने वाली खुफिया रिपोर्ट राज्य में बीजेपी की रथ यात्रा रैलियों को इजाजत देने से इनकार करने की वजह थी।
इस पर बीजेपी के वकील एसके कपूर ने आरोप लगाया कि इसके लिए ममता सरकार की ओर से इजाजत देने से इनकार करना पूर्व निर्धारित था और इसका कोई आधार नहीं था। उन्होंने कहा कि अंग्रेजों के जमाने में महात्मा गांधी ने दांडी मार्च किया और किसी ने उन्हें नहीं रोका लेकिन अब यहां सरकार कहती है कि वह एक राजनीतिक रैली निकालने की इजाजत नहीं देगी।
कलकत्ता हाईकोर्ट के फैसले के बाद केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने विपक्षी दलों पर हमला बोला है उन्होंने कोर्ट के फैसले के बाद पश्चिम बंगाल की पार्टी ईकाई को बधाई दी। फिर अपने अगले ट्वीट में विपक्षी दलों पर हमला करते हुए कहा कि अगर यही फैसला एनडीए या बीजेपी सरकार ने विपक्षी कार्यक्रम पर लिया होता तो इसे ‘अघोषित आपातकाल’ करार दिया जाता। अब लोग चुप क्यों हैं? अपने अगले ट्वीट में कहा कि इस प्रकरण पर मानवाधिकार संगठन चुप क्यों हैं?।
Congratulations to BJP, West Bengal for the High Court Judgement in their favour.
— Arun Jaitley (@arunjaitley) December 20, 2018
Why are Human Rights activists and opposition parties silent on denial of a right to a political party to organise its’ programme in West Bengal.
— Arun Jaitley (@arunjaitley) December 20, 2018
बता दें कि इससे पहले बीजेपी की रथयात्रा को पश्चिम बंगाल सरकार ने इजाजत देने से इनकार कर दिया था। सरकार ने आशंका जताई थी कि रथयात्रा से राज्य में सांपद्रायिक तनाव फैल सकता है। सरकार का कहना था कि किसी के भी सभा करने पर पाबंदी नहीं है, लेकिन कानून व्यवस्था के मद्देनजर रथयात्रा की अनुमति नहीं दी जा सकती।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस रथयात्रा को एक राजनीतिक हथकंडा करार दिया और राज्य के लोगों से इसकी अनदेखी करने की अपील की थी। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, ममता ने कहा, मुझे हैरत है कि पांच सितारा सुविधाओं से लैस रथों में बैठकर यह किस प्रकार की यात्रा होगी।
वहीं, तृणमूल कांग्रेस की नेता ने आरोप लगाया था कि केंद्र सरकार कल्याणाकारी योजनाओं को लागू करने में विफल रही है। उसने जनता से किए गए अपने वादे पूरे नहीं किए।