केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने शनिवार को दिल्ली हिंसा की रिपोर्टिंग के सिलसिले में दो मलयालम चैनलों पर प्रतिबंध लगाए जाने को लेकर मोदी सरकार की कड़ी आलोचना की और कहा कि देश में ‘‘अघोषित आपातकाल’’ चल रहा है। प्रतिबंध को ‘‘खतरनाक चलन’’ करार देते हुए वामपंथी नेता ने कहा कि यह भविष्य के खतरों का संकेत है।
उन्होंने यहां बयान जारी कर कहा, ‘‘केंद्र सरकार ने सभी सीमाओं को लांघते हुए प्रेस की स्वतंत्रता का उल्लंघन किया है। खतरा है कि अगर कोई आरएसएस और संघ परिवार की आलोचना करता है तो उसे सबक सिखाया जाएगा।’’ दिल्ली में पिछले महीने हुए दंगों की कवरेज को लेकर एशियानेट न्यूज और मीडिया वन का प्रसारण 48 घंटे के लिए रोक दिया गया था।
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आधिकारिक आदेश में कहा गया है कि उन्होंने 25 फरवरी की घटनाओं को इस तरह से कवर किया जिसमें ‘‘पूजा स्थलों पर हमले को उजागर किया गया और एक खास समुदाय का पक्ष लिया गया।’’ बहरहाल शनिवार की सुबह को प्रतिबंध हटा लिया गया। इस तरह के रूख पर हर किसी से ‘‘लोकतांत्रिक निगरानी’’ अपनाने की अपील करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र की युक्ति है कि भय पैदा कर हर किसी को अपने नियंत्रण में लिया जाए।
उन्होंने कहा कि ऐसा देखा गया कि संसद, संवैधानिक निकायों और न्यायपालिका में हाल के समय में इस तरह का रूख अक्सर अपनाया गया। उन्होंने दावा किया कि प्रतिबंध का एक कारण चैनलों द्वारा आरएसएस और दिल्ली पुलिस की आलोचना करना है।
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उन्होंने कहा कि कोई भी उससे परे नहीं है। उन्होंने कहा, ‘‘आरएसएस की आलोचना करना अवैध कैसे है? संविधान किसी भी नागरिक को अपना विचार निर्भीकता से रखने का अधिकार देता है।’’ विजयन ने कहा कि लोगों को जानने का अधिकार है कि देश में क्या हो रहा है और मीडिया को इसकी रिपोर्ट करने की जिम्मेदारी है।
उन्होंने कहा कि चौथे स्तम्भ को ‘‘स्वतंत्रतापूर्वक और समानता से’’ काम करने की अनुमति होनी चाहिए। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के एक सूत्र ने बताया कि एशियानेट न्यूज पर प्रतिबंध रात डेढ़ बजे हटा लिया गया जबकि मीडिया वन पर प्रतिबंध शनिवार की सुबह साढ़े नौ बजे हटाया गया।