Karnataka Politics: प्रदेश अध्यक्ष और नेता विपक्ष की खोज में जुटी BJP, फूंक-फूंक कर कदम रख रही - Punjab Kesari
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Karnataka Politics: प्रदेश अध्यक्ष और नेता विपक्ष की खोज में जुटी BJP, फूंक-फूंक कर कदम रख रही

भारतीय जनता पार्टी की कर्नाटक यूनिट अगले दो दिनों में विधानसभा में नेता विपक्ष और राज्य के अगले

भारतीय जनता पार्टी की कर्नाटक यूनिट अगले दो दिनों में विधानसभा में नेता विपक्ष और राज्य के अगले अध्यक्ष के नामों का फैसला कर लेगी। पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा के पुत्र बीवाई विजयेंद्र ने भी कहा था कि पार्टी दो दिनों में नेता विपक्ष के नाम पर फैसला लेगी। हालांकि, उन्होंने कर्नाटक के बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष के नाम पर फैसला लेने की जिम्मेदारी आलाकमान पर छोड़ने की बात भी दोहराई थी। बड़ी बात ये है कि खुद के प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने के सवाल पर विजयेंद्र ने कहा था कि इस बारे में पार्टी के भीतर किसी तरह की बात नहीं हुई है। उन्होंने जोर देते हुए कहा था कि कौन कर्नाटक बीजेपी का अध्यक्ष बनता है, ये कोई मुद्दा नहीं है। हम लोग एक साथ मिलकर कर्नाटक में पार्टी को मजबूत करेंगे।
बीवाई विजयेंद्र ने उस सवाल का जवाब देने से भी इनकार कर दिया, जिसमें पूछा गया था कि कर्नाटक चुनाव में बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा, क्योंकि उनके पिता येदियुरप्पा को पद छोड़ने के लिए कहा गया था। बीजेपी सूत्रों की मानें तो पूर्व मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई, वरिष्ठ नेता बसनगौड़ा पाटिल और अरविंद बेलाड विधानसभा में नेता विपक्ष बनने की रेस में शामिल हैं। हालांकि, पार्टी येदियुरप्पा के बेटे विजयेंद्र को पद देने की सोच रही है। ओबीसी और दलित चेहरे को भी नेता विपक्ष बनाने की बात की जा रही है। ऐसी भी संभावना जताई जा रही है कि बीजेपी एमएलसी कोटा श्रीनिवास पुजारी को नेता विपक्ष बनाया जा सकता है। इसके अलावा वोक्कालिगा नेता को भी कर्नाटक बीजेपी की जिम्मेदारी दी जा सकती है। इसमें आर अशोक, सीएन अश्वथ नारायण भी बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष की रेस में शामिल हैं। हालांकि, अभी तक प्रदेश अध्यक्ष के नाम पर अंतिम फैसला नहीं हुआ है। 
बीजेपी लिंगायत, वोक्कालिगा, ओबीसी या दलित चेहरे को प्रदेश अध्यक्ष बनाना चाहती है, जिससे राज्य के सभी समुदायों को प्रतिनिधित्व देने का संदेश दिया जा सके। बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष और नेता विपक्ष के दोनों पदों पर मजबूत उम्मीदवारों को खोज रही है। इन सबके बीच कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने अपने कैबिनेट मंत्रियों को आरएसएस और हिंदुत्व ताकतों से मुकाबला करने के साथ ही बीजेपी पर जुबानी हमला करने का पूरा अधिकार दे दिया है। कांग्रेस नेता पूर्व की बीजेपी सरकार में आरएसएस से नजदीकी संबंध रखने वाली संस्थाओं को मिली संपत्तियों को वापस लेने पर भी पुनर्विचार कर रहे हैं। इससे बीजेपी नेताओं में खलबली मची हुई है। कांग्रेस को आरएसएस को बैन करने की चुनौती देने वाले बीजेपी नेता भी खामोश हैं। माना जा रहा है कि बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष और नेता विपक्ष के लिए वैसे चेहरे को खोज रही है जो मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार को सदन के भीतर और बाहर कड़ी चुनौती दे सके।

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