कर्नाटक की गद्दी पर बैठाने के लिए कांग्रेस असमंजस में है। 2023 के विधानसभा चुनावों से पहले मुख्यमंत्री पद के लिए दो शीर्ष नेताओं के बीच होड़ के साथ पार्टी के भीतर कई लोगों में असंतोष भड़कने का डर है।कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस कमेटी (केपीसीसी) के अध्यक्ष डी. के. शिवकुमार और पूर्व मुख्यमंत्री रहे विधायक दल के नेता सिद्धरमैया के खेमों के बीच एक विभाजन पैदा होने को लेकर पार्टी के भीतर स्पष्ट चिंता है। इस गुटबाजी के परिणामों को समझने वाले वरिष्ठ नेताओं और कांग्रेस नेताओं ने हिदायत के स्वर में कहा, ‘‘पहले चुनाव जीतना अधिक महत्वपूर्ण है, फिर मुख्यमंत्री पद की बात आती है। पहले इस सेतु को पार करें।’’
योगदान को प्रदर्शित करने के प्रयास के रूप में देखा
सिद्धरमैया और शिवकुमार दोनों खुले तौर पर एक ही राय या भावना व्यक्त करते हैं, हालांकि उनके विश्वासपात्र और खेमे अपने-अपने नेता को पेश करने के लिए तैयार हैं, जिससे चीजें गड़बड़ हो जाती हैं।सिद्धरमैया के समर्थकों ने उनके 75 वें जन्मदिन पर तीन अगस्त को दावणगेरे में एक भव्य समारोह की योजना बनाई है, क्योंकि यह पार्टी के चुनावी अभियान से पहले होने वाला है। इस आयोजन को सिद्धरमैया के खेमे द्वारा उन्हें और उनके योगदान को प्रदर्शित करने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है, जिसका उद्देश्य चुनाव से पहले पार्टी के भीतर आलाकमान और उनके विरोधियों दोनों को एक संदेश भेजना है, जबकि कुरुबा नेता के ‘अहिंदा’ वोट आधार को भी मजबूत करना है।‘अहिंदा’ एक कन्नड़ संक्षिप्त शब्द है जिसका उपयोग ‘अल्पसंख्यातरु’ (अल्पसंख्यक), ‘हिंदुलिदावारु’ (पिछड़ा वर्ग) और ‘दलितरु’ (दलित) के लिए किया जाता है।
मुख्यमंत्री पद पर एक आखिरी मौका दिया जाना चाहिए
उन्होंने अपने मुख्यमंत्री पद की दावेदारी का समर्थन करने के लिए प्रमुख वोक्कालिगा समुदाय, जिससे वह संबंधित हैं, का आह्वान कर सामुदायिक कार्ड खेला है। एसएम कृष्णा (जो बाद में मुख्यमंत्री बने) के बाद एकमात्र वोक्कालिगा केपीसीसी अध्यक्ष होने का जिक्र करते हुए शिवकुमार ने कहा कि दलित कैसे चाहते हैं कि उनका अपना कोई मुख्यमंत्री बने। हाल में उन्होंने कहा था, ‘‘हर समुदाय का अपना मान-सम्मान है। हमारे समुदाय को साथ आने दें।’’
कुछ राजनीतिक पर्यवेक्षकों और पार्टी के अंदरूनी सूत्रों की राय है कि विधायकों के बीच शिवकुमार की तुलना में सिद्धरमैया के पक्ष में अधिक समर्थन है। वहीं, शिवकुमार गुट दृढ़ता से मानता है कि ‘‘वह पार्टी अध्यक्ष हैं मुख्यमंत्री पद के स्वाभाविक दावेदार’’ भी हैं। सिद्धरमैया के बार-बार यह दावा करने के साथ कि यह उनका आखिरी चुनाव होगा, उनका खेमा भी दृढ़ता से मानता है कि उन्हें मुख्यमंत्री पद पर एक आखिरी मौका दिया जाना चाहिए, क्योंकि शिवकुमार की उम्र उनके पक्ष में है। शिवकुमार के समर्थकों का विचार है कि अब उनके नेता को मौका दिया जाना चाहिए, क्योंकि सिद्धरमैया 2013-18 के बीच पहले ही मुख्यमंत्री पद पर रह चुके हैं।