कर्नाटक भाजपा इकाई 10 मई को होने वाले विधानसभा चुनाव में अपनी संभावनाओं को लेकर उत्साहित है। भगवा पार्टी पहली सूची में नए उम्मीदवारों को 52 टिकट आवंटित करके और दूसरी सूची में सात मौजूदा विधायकों को टिकट से वंचित करके राज्य में गुजरात मॉडल की नकल करने की दिशा में एक कदम आगे बढ़ गई है।
मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने कहा है कि उम्मीदवारों की सूची देखकर विरोधी अभी से कांप रहे हैं। हालांकि, यह कदम भाजपा के लिए एक गंभीर चुनौती भी पेश कर रहा है। क्योंकि टिकट से वंचित विधायक बगावत कर रहे हैं, विशेष रूप से वरिष्ठ नेता जिन्होंने भाजपा के राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों के साथ हाथ मिलाकर खुद को साबित करने का संकल्प लिया है।
पैकेट पर हिंदी थोपने का भी लगा आरोप
पार्टी के सूत्रों ने कहा कि आलाकमान ने नेताओं से कहा है कि वे बागी उम्मीदवारों की चिंता न करें, वे स्थिति को संभाल लेंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रचार अभियान की योजना इस तरह से बनाई गई है कि राज्य भगवा लहर में बह जाए।
हालांकि, अमूल और नंदिनी ब्रांड को लेकर हुए विवाद ने चुनाव से पहले पार्टी की छवि को नुकसान पहुंचाया है। पहले दही के पैकेट पर हिंदी थोपने का आरोप भी लगा। हालांकि विरोध के बाद इसे वापस ले लिया गया। जब चीजें सुलझती दिख रही थीं, तब भाजपा ने कर्नाटक में अमूल दूध और दही के पैकेट बेचने की शुरुआत करके विपक्ष को एक और मुद्दा दिया।
अमूल के खिलाफ आंदोलन को शुरू में नजरअंदाज
सरकार के इस कदम का विरोध करने के लिए विपक्ष और कन्नड़ कार्यकर्ता सड़कों पर उतर आए। जल्द ही, यह मुद्दा उन किसानों के अस्तित्व से जुड़ गया, जो कर्नाटक मिल्क फेडरेशन (केएमएफ) को दूध बेचने पर निर्भर हैं। अमूल के खिलाफ आंदोलन को शुरू में नजरअंदाज करने वाली भाजपा ने बाद में यह बताकर नुकसान को नियंत्रित करने की कोशिश की कि केएमएफ और नंदिनी ब्रांड को मजबूत करने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं। विपक्षी कांग्रेस और जद (एस) ने राज्य के लोगों तक पहुंचने के लिए विवाद का इस्तेमाल किया और भाजपा द्वारा नंदिनी ब्रांड को अमूल के साथ विलय करने के बारे में सफलतापूर्वक संदेह पैदा किया।
सीएम जगदीश शेट्टार के टिकट की घोषणा अभी बाकी
उम्मीदवारों की पहली और दूसरी सूची जारी होने के बाद से पार्टी अपने नेताओं की बगावत से भी निपट रही है। विवादास्पद नेता के.एस. ईश्वरप्पा को चुनावी राजनीति से संन्यास लेने के लिए कहा गया। पार्टी ने पूर्व डिप्टी सीएम लक्ष्मण सावदी को टिकट देने से इंकार कर दिया, जबकि पूर्व सीएम जगदीश शेट्टार के टिकट की घोषणा अभी बाकी है। सूत्रों के मुताबिक हाईकमान की इसमें कोई दिलचस्पी नहीं है। बीजेपी के वरिष्ठ नेता पूर्व डिप्टी सीएम आर. अशोक और मंत्री वी. सोमन्ना को चुनौतीपूर्ण टास्क दिए गए हैं। वे क्रमश: कर्नाटक कांग्रेस अध्यक्ष डी.के. शिवकुमार और विपक्ष के नेता सिद्धारमैया का मुकाबला करेंगे।