झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की विधानसभा सदस्यता पर खतरा मंडरा रहा है। चुनाव आयोग ने सीएम हेमंत सोरेन पर पद के लाभ पर होने के आरोपों पर अपनी राय राज्यपाल रमेश बैस को भेज दी है। दरअसल, बीजेपी ने पत्थर खनन का लीज अपने नाम आवंटित करने का आरोप लगाते हुए हेमंत सोरेन के खिलाफ ‘ऑफिस ऑफ प्रॉफिट’ से जुड़े नियमों के तहत शिकायत दर्ज करवाई थी।
दरअसल, मामला हेमंत सोरेन द्वारा खुद को खनन पट्टा देने से जुड़ा है। बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रघुबर दास ने इसी साल फरवरी में दावा किया था कि सोरेन ने अपने पद का दुरुपयोग किया और खुद को खनन पट्टा आवंटित किया, यह एक ऐसा मुद्दा है जिसमें हितों के टकराव और भ्रष्टाचार दोनों शामिल हैं।
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हेमंत सोरेन के नाम पर रांची के अनगड़ा में पत्थर खदान की लीज आवंटित हुई थी, जिसे बाद मे उन्होंने सरेंडर कर दिया था, लेकिन इस मामले को लेकर भाजपा की शिकायत पर केंद्रीय चुनाव आयोग ने कई राउंड की सुनवाई की। शिकायतकर्ता बीजेपी और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन दोनों ने अपने-अपने पक्ष रखे।
बीते 18 अगस्त को निर्वाचन आयोग ने सुनवाई पूरी करने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था। हेमंत सोरेन वर्ष 2019 के चुनाव में दो विधानसभा क्षेत्रों-दुमका और बरहेट विधानसभा क्षेत्र से विधायक चुने गये थे। बाद में उन्होंने दुमका विधानसभा क्षेत्र से इस्तीफा दे दिया था और बरहेट से विधायक बने रहने का निर्णय लिया था। बाद में उनके इस्तीफे से खाली हुई दुमका विधानसभा सीट पर उपचुनाव में उनके भाई बसंत सोरेन झामुमो के उम्मीदवार के रूप में विजयी हुए थे।
बसंत सोरेन पर भी विधायक रहते हुए माइन्स लीज लेने का आरोप है और इस मामले में भी निर्वाचन आयोग में सुनवाई चल रही है। इस केस में आयोग ने सुनवाई की अगली तारीख 28 अगस्त तय कर रखी है। चूंकि बसंत सोरेन का मामला भी हेमंत सोरेन के जैसा ही है, इसलिए उनकी सदस्यता जानी भी तय मानी जा रही है।