बुजुर्ग को मनाना व युवाओं को पार्टी में बड़ी हिस्सेदारी देने जैसे मुद्दे भी खड़गे के 'आलाकमान' बनने में चुनौती - Punjab Kesari
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बुजुर्ग को मनाना व युवाओं को पार्टी में बड़ी हिस्सेदारी देने जैसे मुद्दे भी खड़गे के ‘आलाकमान’ बनने में चुनौती

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने पार्टी का भारी मतों की स्वीकार्यता के साथ चुनाव तो जीत

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने पार्टी का भारी मतों की स्वीकार्यता के साथ चुनाव तो जीत लिया हैं , लेकिन उनके लिए फूलों का नहीं बल्कि कांटों व चुनौती से भरा ताज हैं। पार्टी भारी फण्ड से जूझ रही हैं, कई राज्यों में कांग्रेस की गिनती शून्य पर ही खत्म हो जाती हैं। दिल्ली का रास्ता तय करने वाला यूपी में भी कांग्रेस का कोई जनाधार नहीं हैं। पार्टी प्रियंका गांधी के नेतृत्व में भी कुछ हासिल नहीं कर पाई। लेकिन खड़गे के लिए दलित समाज को साधना आसान होगा क्योंकि कर्नाटक, यूपी जैसे बड़ों राज्यों में दलित समाज खासे प्रभाव में हैं, अगर खड़गे पार्टी के लिए ऐसा कर पाने में आसान रहे तो मल्लिकार्जुन खड़गे पार्टी के सर्वेसर्वा हो जाएगे।   
कांग्रेस में खड़गे के लिए सबसे बड़ी चुनौती हैं कि पार्टी के बुजुर्ग नेता को स्थिर कर युवा को कैसे मौका देंगे। क्योंकि पार्टी में जान फूंकने के लिए युवा का होना जरूरी हैं , धरातल पर पार्टी का जनाधार बढने पर कांग्रेस लोकसभा चुनाव में कुछ करने की स्थिति पर जा पाएगी।  कांग्रेस में सार्वभौमिक रूप से पार्टी संगठन में बदलाव के साथ ही युवा को राज्यों की बागडोर देनी चाहिए , खास कर वंहा जंहा पर पार्टी अपना जनाधार खो चुकी हैं।  बुजुर्ग नेता पार्टी में वापस जान नहीं फूंक सकते हैं , क्योंकि आज राजनीति की दसों दशों बदल गयी हैं, जंहा बीजेपी जैसी बड़ी पार्टिया सोशल मीडिया के सहारे अपने सदस्य बनाकर जनाधार मजबूत करने में कामयाब रही हैं, वंही कांग्रेस विपक्ष में होने के बावजूद सरकार को घेरने पर भी सक्षम नहीं हो पाई।  खड़गे की कर्नाटक महाराष्ट्र के साथ ही कई राज्यों में स्वीकार्यता तो हैं लेकिन जनाधार नहीं।  
युवाओं से सवांद कर जिम्मेदारी सौंपना बड़ी बात 
कांग्रेस में पुराना समय से ही युवाओं के हाथ पार्टी का बागडोर सौंपना  के रोड़मैप पर बात की जाती हैं , कई राज्यों के युवा नेता पार्टी में पद व सम्मान को लेकर संघर्ष कर रहे हैं , लेकिन तजुर्बेदार पुराना सियासी कद्दावर नेता उन्हें आगे नहीं आने देते हैं , जिस कारण पार्टी का कई युवा नेताओं का मोहभंग हो गया हैं , पार्टी छोड़ने के बाद उन्होनें अपने राज्यों में अपनी पकड़ के साथ अन्य दलों में सम्मान पाकर अच्छा काम कर रहे हैं।  कांग्रेस के लिए ही मुसीबत खड़े कर रहे हैं।  इसलिए पार्टी के युवा को तव्वजों देकर उन्हें कमान सौंपना चाहिए।  

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