ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (एआईयूडीएफ) के प्रमुख बदरुद्दीन अजमल ने बुद्धिजीवियों से असम में विदेशियों का मुद्दा सुलझाने के लिए राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) की अंतिम सूची की स्वीकार्यता सुनिश्चित कराने के उद्देश्य से आगे आने की अपील की है।
अजमल ने रविवार को जारी एक बयान में कहा कि एनआरसी को असम में लोगों और सभी राजनीतिक पार्टियों की मांग के बाद अद्यतन किया गया है। इसे सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में पांच साल की कठिन मेहनत से तैयार किया गया है और इस सूची को सीधे तौर पर खारिज नहीं करना चाहिए जैसा कि ज्यादातर पक्ष कर रहे हैं।
धुबरी से लोकसभा सदस्य ने कहा, “कुछ ऐसी ताकतें हैं जिन्होंने सीधे तौर पर एनआरसी को खारिज कर दिया और ऐसी परिस्थिति में प्रमुख नागरिकों खास तौर पर बुद्धिजीवियों को यह सुनिश्चित करने के लिए आगे आना चाहिए कि पिछले 40 साल से पिछड़ी हुई असम की जनता नई समस्याओं का सामना न करे।”
एआईयूडीएफ ने प्रमुख ने कहा, “एनआरसी एक मजबूत दस्तावेज होने जा रहा है जो विदेशियों के मुद्दे को सुलझाने में मदद करेगा और सभी को इसे स्वीकार करना चाहिए।” अजमल ने कहा, “जिनका नाम इस सूची में नहीं है, वह विदेशी न्यायाधिकरण और उसके बाद उच्च न्यायालय और अंतिम रूप से उच्चतम न्यायालय में गुहार लगा सकते हैं कि उन्हें विदेशी घोषित न किया जाए।” एनआरसी की अंतिम सूची को लेकर एएएसयू, असम पब्लिक वर्क्स (एपीडब्ल्यू), ऑल असम माइनॉरिटी स्टूडेंट्स यूनियन (एएएमएसयू) और कांग्रेस तथा भाजपा ने भी असंतुष्टि जताई है।
उल्लेखनीय है कि असम में बहुप्रतीक्षित एनआरसी की अंतिम सूची शनिवार को ऑनलाइन जारी कर दी गई। एनआरसी में शामिल होने के लिए 3,30,27,661 लोगों ने आवेदन दिया था। इनमें से 3,11,21,004 लोगों को शामिल किया गया है और 19,06,657 लोगों को बाहर कर दिया गया है।