इंदौर : डिलीवरी के बाद नाबालिग के पति पर दर्ज हुआ 'धर्मांतरण निरोधक कानून' के तहत मामला - Punjab Kesari
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इंदौर : डिलीवरी के बाद नाबालिग के पति पर दर्ज हुआ ‘धर्मांतरण निरोधक कानून’ के तहत मामला

बाल कल्याण समिति ने पुलिस को संबद्ध धाराओं में मामला दर्ज करने को कहते हुए पत्र में लिखा

मध्य प्रदेश के इंदौर में 17 वर्षीय नाबालिग की प्रसूति (बच्चे को जन्म) के बाद उसके 21 वर्षीय पति के खिलाफ अपहरण और दुष्कर्म के आरोपों के साथ ही धर्मांतरण निरोधक कानून के तहत एफआईआर दर्ज की गई है। संयोगितागंज पुलिस थाने के एक उप निरीक्षक ने मंगलवार को यह जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि बाल कल्याण समिति के पत्र के आधार पर नाबालिग लड़की के 21 साल के कथित पति के खिलाफ भारतीय दंड विधान की धारा 363 (अपहरण), धारा 366 (विवाह करने को विवश करने के लिये किसी स्त्री को अगवा करना), लैंगिक अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम (पॉक्सो) और ‘‘मध्यप्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम 2021’’ के संबंधित प्रावधानों के तहत सोमवार रात मामला दर्ज किया गया।
उप निरीक्षक ने बताया कि नाबालिग लड़की ने 17 फरवरी को शहर के एक सरकारी अस्पताल में प्रसूति के तय वक्त से पहले बच्चे को जन्म दिया था। उन्होंने बताया कि बाल कल्याण समिति ने पुलिस को संबद्ध धाराओं में मामला दर्ज करने को कहते हुए पत्र में लिखा कि पहली नजर में यह मामला बाल विवाह, पॉक्सो और ‘‘धर्मांतरण या लव जिहाद’’ के आरोपों से जुड़ा प्रतीत होता है।
उप निरीक्षक ने बताया कि प्राथमिकी दर्ज किए जाने से पहले ही पुलिस ने आरोपी युवक को सार्वजनिक शांति भंग होने की आशंका में 18 फरवरी को एहतियातन गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। उन्होंने बताया कि वह जमानत पर जेल से छूट चुका है और अब इस मामले में दर्ज प्राथमिकी के आधार पर गिरफ्तार करने के लिए उसकी तलाश की जा रही है।
उप निरीक्षक ने बताया कि पीड़ित नाबालिग लड़की और आरोपी युवक अलग-अलग संप्रदायों के परिवारों में जन्मे हैं। इस बीच, बाल कल्याण समिति की अध्यक्ष पल्लवी पोरवाल ने बताया,‘‘नाबालिग लड़की ने चाइल्ड लाइन की शुरुआती काउंसलिंग में कहा था कि उसकी 21 वर्षीय युवक से शादी हो चुकी है। हालांकि, उसके इस दावे की तसदीक पुलिस की जांच में हो सकेगी।’’
उन्होंने बताया कि नाबालिग लड़की के नवजात शिशु की तबीयत फिलहाल ठीक नहीं है और जच्चा अपने बच्चे के साथ एक सरकारी अस्पताल में भर्ती है। पोरवाल ने कहा,‘‘हमारी प्राथमिकता अभी सिर्फ यह है कि नाबालिग लड़की का बीमार बच्चा जल्द स्वस्थ हो जाए। इसके बाद अगर लड़की और उसका परिवार हमसे किसी तरह के आश्रय, संरक्षण या सुरक्षा की मांग करेगा, तो हम उसे यह मदद मुहैया कराएंगे।’’

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