वीरों के इतिहास को पाठ्यक्रम में शामिल करें - Punjab Kesari
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वीरों के इतिहास को पाठ्यक्रम में शामिल करें

उपराष्ट्रपति ने कहा कि जब मैंने यह वीरगाथा सुनी तभी यहां आने का मन बना लिया था। यह

देहरादून/रुड़की : ‘आज मैं वीरों की धरती पर आकर धन्य हो गया। राजा विजय सिंह और यहां के ग्रामीणों के बलिदान को देश कभी भुला नहीं सकता है। मैं ऐसे वीरों को नमन करता हूं, जिन्होंने सबसे पहले देश की आजादी के लिए अपना बलिदान दिया। इनके बिना देश का इतिहास अधूरा है। ऐसे वीरों के इतिहास को उत्तराखंड सरकार पाठ्यक्रम में शामिल करे ताकि आनी वाली पीढ़ी को इनके बारे में पता लग सके।’ 
ये बातें शनिवार को उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने देश की आजादी के लिए सबसे पहले बिगुल फूंकने वाले कुंजा बहादरपुर गांव पहुंचकर कहीं। यहां श्रद्धांजलि सभा को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि देश की आजादी के लिए कुंजा बहादरपुर गांव का इतिहास सबसे पुराना है। वर्ष 1822 में शहीद राजा विजय सिंह और उनके सेनापति ने ग्रामीणों के साथ मिलकर अंग्रेजों के खिलाफ बिगुल फूंका था। 
राजा विजय सिंह ने आजादी की लड़ाई शुरू करने के दौरान ही आजादी की घोषणा कर दी थी। उपराष्ट्रपति ने कहा कि जब मैंने यह वीरगाथा सुनी तभी यहां आने का मन बना लिया था। यह मेरा सौभाग्य है कि मैं आज यहां हूं। यह हमारा सौभाग्य है कि देश को ऐसे वीर मिले। देश में कहीं भी जाऊंगा तो वीरों के गांव और राजा विजय सिंह समेत सभी वीरों की बहादुरी के किस्से लोगों को जरूर बताऊंगा।

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