नैनीताल : उत्तराखंड में पूर्व मुख्यमंत्रियों के ठाट बाट को कायम रखने के लिए सरकारी धन को किस तरह खर्च किया जाता है, इसका खुलासा आरटीआई से मिली जानकारी में हुआ है। सूबे के पूर्व मुख्यमंत्रियों पर 13 करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च हो चुका है, जिसके बाद शासन में हड़कंप मच गया है। इस मामले में नैनीताल हाईकोर्ट ने भी सरकार को विस्तृत रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए हैं।
उत्तराखंड में कुर्सी जाने के बाद भी राजनेताओं की राजसी रहन-सहन राज्य की आर्थिक रूप से कमर तोड़ रहे हैं। ये खुलासा सूचना के अधिकार के तहत मिली जानकारी से हुआ है। आंकड़े बताते हैं कि कैसे सुरक्षा से लेकर, पेट्रोल, डीजल, रहने-खाने और टेलीफोन समेत अन्य बिलों के भुगतान के नाम पर सरकारी खजाने से करोड़ों रुपए लुटाए गए।
पूर्व मुख्यमंत्रियों पर किया गया ये खर्चा साल दर साल बढ़ गया। इसकी एक वजह ये भी है कि राज्य में 18 सालों के दौरान 8 नेता मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंच चुके हैं। राज्य में राजनितिक अस्थिरता के चलते इस संख्या में बढ़ोतरी के आसार बने रहते हैं।
सबसे ज्यादा बकाया भगत सिंह कोशियारी पर बताया
उत्तराखंड में पूर्व मुख्यमंत्रियों द्वारा किये गए खर्च में सबसे ज्यादा बकाया भगत सिंह कोशियारी पर बताया जा रहा है। हाई कोर्ट में याचिका डालकर पूर्व मुख्यमंत्रियों के लिए परेशानी खड़ी करने वाले रुलक के अध्यक्ष अवधेश कौशल की मानें तो भगत सिंह कोशियारी पर 3 करोड़ 70 लाख, स्वर्गीय नारायण दत्त तिवारी पर 2 करोड़ 39 लाख रुपए, रमेश पोखरियाल निशंक पर 2 करोड़ 17 लाख, बीसी खंडूड़ी पर 2 करोड़ 81 लाख और विजय बहुगुणा पर 1 करोड़ 11 लाख का बकाया है।
जिसकी रिकवरी के लिए कोर्ट से अपील की गयी है। उत्तराखंड पहले ही आर्थिक रुप से कमजोर है। अक्सर राजनेता सरकार में रहते हुए फिजूलखर्ची कम करने की बात भी करते हैं। लेकिन चुनाव के दौरान खुद को करोड़पति घोषित करने वाले ये नेता गद्दी छोड़ने के बाद भी सरकारी सुविधाओं का मोह नहीं छोड़ पाते।
हैरानी की बात है कि कई पूर्व मुख्यमंत्री वर्तमान में सांसद हैं। सांसद निधि के साथ-साथ पूर्व मुख्यमंत्री निधि का पैसा भी धड़ल्ले से खर्च कर रहे हैं।