पूर्वी-भारत के असम राज्य में विधानसभा चुनाव से ऐन पहले भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता और मंत्री हेमंत बिस्वा सरमा को निर्वाचन आयोग ने चुनाव प्रचार करने से 48 घंटे के लिए रोक दिया। इसके बाद हेमंत बिस्वा ने चुनाव आयोग के इस फैसले को चुनौती देने के पूरी तैयारी कर ली है, जी हां उन्होंने इस फैसले के खिलाफ गुवाहाटी उच्च न्यायालय जाने का निर्णय लिया है।
ऐसा माना जा रहा है कि सरमा की इस याचिका पर शनिवार को सुनवाई होगी। बता दें कि बीपीएफ अध्यक्ष हग्रामा मोहिलारी के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणियों के मामले में उन पर एक्शन लिया गया है। कांग्रेस ने चुनाव आयोग से शिकायत की थी।
चुनाव आयोग के आदेश के अनुसार, ‘आयोग हिमंत बिस्वा सरमा के बयानों की कड़ी निंदा करता है। आयोग दो अप्रैल (शुक्रवार) को तत्काल प्रभाव से 48 घंटे के लिए उनके कोई सार्वजनिक सभा करने, सार्वजनिक जुलूस निकालने, रैलियां करने, रोडशो, साक्षात्कार देने और मीडिया में सार्वजनिक बयान देने पर रोक लगाता है।’
यहां बताना जरूरी है कि तीसरे और आखिरी चरण की वोटिंग के लिए चुनाव प्रचार रविवार को थम जाएग और रविवार तक चुनाव आयोग ने सरमा के चुनाव प्रचार पर बैन लगाया है। ऐसे में अगर कोर्ट शनिवार की सुनवाई में यह बैन हटाता है तो सरमा तीसरे चरण की वोटिंग से पहले चुनाव प्रचार कर सकते हैं।
कांग्रेस ने आयोग से हिमंत बिस्वा सरमा के बयान को लेकर उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी। सरमा ने कहा था कि अगर मोहिलारी विद्रोही नेता एम बाथा के साथ उग्रवाद को बढ़ावा देते हैं तो केंद्रीय जांच एजेंसी एनआईए के माध्यम से उन्हें जेल भेजा जाएगा। बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट असम में कांग्रेस का सहयोगी दल है। पहले यह दल भाजपा के साथ था।
असम में दो चरण के मतदान हो चुके हैं जबकि 40 सीटों पर तीसरे चरण का मतदान 6 अप्रैल को होगा। पहले चरण के चुनाव में 27 मार्च को 47 सीटों पर करीब 79.97 फीसदी मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया, जबकि दूसरे चरण में बृहस्पतिवार को 39 सीटों पर मतदान हुआ। नतीजे 2 मई को आएंगे।