असम के तिनसुकिया जिले के बगजान में ऑयल इंडिया के एक कुएं में भयानक आग लगने से डिब्रू सैखोवा राष्ट्रीय उद्यान और मगुरी मोटापुंग आर्द्रभूमि क्षेत्र को अपूर्णीय क्षति पहुंची है, वहीं इस जमीन पर निर्भर रहनेवाले लोगों की आजीविका भी खतरे में पड़ गई है। इस आग लगने की घटना को लेकर सार्वजनिक क्षेत्र के बड़े उपक्रम ऑयल इंडिया, एक निजी कंपनी, केंद्र और राज्य सरकार के खिलाफ दायर जनहित याचिका खारिज कर दी है।
याचिकाकर्ता और प्रतिवादियों की दलीलें सुनने के बाद मुख्य न्यायाधीश अजय लांबा और न्यायमूर्ति सौमित्र सैकिया की पीठ ने पर्यावरणविद एवं उद्यमी निरंत गोहेन द्वारा दायर जनहित याचिका का शुक्रवार को निस्तारण कर दिया। अदालत ने अपने आदेश में कहा, ‘‘याचिका के चौथे पैराग्राफ में अनुरोध किया गया है कि याचिकाकर्ता का वाद में कोई निजी हित नहीं है। हालांकि, याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि याचिकाकर्ता एक उद्यमी हैं और नजदीक के इलाके में उनका एक लॉज है।’’
इसमें कहा गया है, ‘‘हालांकि, वकील यह दलील नहीं दे पाए कि वैश्विक महामारी के कारण राज्य सरकार के दिशानिर्देशों के तहत ऐसे सभी होटल और लॉज खुले हुए नहीं हैं।’’ अदालत ने कहा कि याचिका में मुआवजा मांगने के साथ ही जांच करने का अनुरोध किया गया है। पहले से ही विभिन्न एजेंसियां जांच कर रही हैं।
गोहेन ने 10 जून को यह जनहित याचिका दायर की थी और इसमें ऑयल इंडिया लिमिटेड (ओआईएल), जॉन एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड और केंद्र तथा राज्य सरकारों की विभिन्न एजेंसियों सहित 12 प्रतिवादी बनाए हैं। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता संतनु बोर्थाकुर ने कहा कि जनहित याचिका में सभी प्रभावित पक्षों को पर्याप्त मुआवजा देने, घटना की उचित जांच और क्षेत्र की समृद्ध जैव विविधता की रक्षा करने तथा उसे बनाये रखने के उपाय करने का आग्रह किया गया है।