एफएमसीजी की विकासदर वर्ष 2019 में घटकर 11-12 प्रतिशत रह जायेगी : नीलसेन - Punjab Kesari
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एफएमसीजी की विकासदर वर्ष 2019 में घटकर 11-12 प्रतिशत रह जायेगी : नीलसेन

वृद्धि देखी गईजो जनवरी 2019 के दो प्रतिशत से बढ़कर मार्च में 2.9 प्रतिशत हो गया है।’ इसने

भारत के तेजी से बढ़ते तत्काल खपत उपभोक्ता माल (एफएमसीजी) उद्योग के विकास की गति धीमी होकर वर्ष 2019 में 11-12 प्रतिशत रह जाने की संभावना है, जो वर्ष 2018 के मुकाबले लगभग दो प्रतिशत कम होगा। एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है। नील्सन के अनुसार, कैलेंडर वर्ष 2019 के अप्रैल से जून की तिमाही के दौरान इस उद्योग के 12-13 प्रतिशत की दर से बढ़ने की उम्मीद है। नीलसन ने कहा, ‘वर्ष 2019 की प्रथम तिमाही में एफएमसीजी के विकास की गति 13-14 प्रतिशत रहने का पूर्वानुमान के अनुरूप, यह क्षेत्र 13.6 प्रतिशत की दर से बढ़ा है।

हम प्रत्येक तिमाही में 1-2 प्रतिशत क्रमिक रूप से विकास में कमी देख रहे हैं जो पहली छमाही में स्वस्थ दोहरे अंक की वृद्धि की ओर अग्रसर है। साल की दूसरी छमाही में उच्च एकल अंकों की वृद्धि की ओर बढ़ेंगे।’ नीलसन ने कहा कि एफएमसीजी उद्योग विकास परिदृश्य वर्ष 2019 में 11-12 प्रतिशत की सीमा में होगा, जो वर्ष 2018 के वृद्धि दर से लगभग दो प्रतिशत कम होगा। उन्होंने कहा कि वर्ष वर्ष 2018 में व्यवसाय का आकार बढ़ता हुआ 11 प्रतिशत के चरम स्तर को छू गया था और इस वृद्धि दर के बेहतर रहने की उम्मीद है, लेकिन वित्तवर्ष 2019 में यह 8.5- 9.5 प्रतिशत यानी कम है।

 इसने कहा है कि पहली तिमाही में 13.6 प्रतिशत की वृद्धि वर्ष 2018 की अंतिम तिमाही (पिछली तिमाही से -2.3 प्रतिशत) की वृद्धि से थोड़ी कम है। इसमें कहा गया है, ‘इसी तरह की बात अर्थव्यवस्था में देखने को मिली जहां 6.8 प्रतिशत जीडीपी वृद्धि दर की अपेक्षा के मुकाबले जीडीपी विकास दर 6.6 प्रतिशत रही। हाल के महीनों में मुद्रास्फीतिकारी दबाव में भी वृद्धि देखी गईजो जनवरी 2019 के दो प्रतिशत से बढ़कर मार्च में 2.9 प्रतिशत हो गया है।’ इसने कहा है, “शहरी विकास में मामूली गिरावट देखी गई है।

ग्रामीण क्षेत्रों में विकास के रुझानों में बड़ी कमी आई है जो 2018 की पहली तिमाही से 2018 की तीसरी तिमाही तक समग्र एफएमसीजी उद्योग की वृद्धि को प्रभावित कर रही है। ऐतिहासिक रूप से, ग्रामीण क्षेत्र की जीडीपी विकास दर शहरी क्षेत्र की तुलना में 3-5 प्रतिशत अंक अधिक रहे हैं तथा ग्रामीण विकास में हालिया मंदी ने विकास को शहरी विकास के लगभग बराबर ला दिया है। इसमें कहा गया है, ‘ग्रामीण विकास में जो कुल गिरावट देखी गई है वह पैकेज्ड फूड श्रेणी में मंदी के कारण है।’

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