राहुल गांधी के मणिपुर के दौरे के बीच दंगाइयों की गोलाबारी जारी, सुरक्षाबलों ने की जवाबी कार्रवाई - Punjab Kesari
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राहुल गांधी के मणिपुर के दौरे के बीच दंगाइयों की गोलाबारी जारी, सुरक्षाबलों ने की जवाबी कार्रवाई

मणिपुर में लगातार हिंसा का दौर जारी है जहां आज सुबह राज्य में गोलीबारी हुई है। और इन

मणिपुर में लगातार हिंसा का दौर जारी है जहां आज सुबह राज्य में गोलीबारी हुई है। और इन सब के बीच राहुल गांधी भी मणिपुर के 2 दोनों के दौरे पर हैं। यहां की सेना ने इस घटनाक्रम पर बताया कि सुबह 5:30 बजे मणिपुर के हरओठेल गांव में कुछ अज्ञात बंदूकधारियों ने बिना किसी उकसावे के गोलीबारी की। स्थिति को बढ़ने से रोकने के लिए क्षेत्र में तैनात सुरक्षा बलों ने जवाबी कार्रवाई की, जिसके बाद अब महौल शांत है।    
 घटनाक्रम की जांच अभी जारी
सैनिकों की तुरंत कार्रवाई के बाद यहां शाती का महौल है। और इस पूरे घटनाक्रम की जांच अभी जारी है। अपुष्ट रिपोर्टों से कुछ लोगों के हताहत होने का संकेत मिला है। क्षेत्र में बड़ी भीड़ जमा होने की भी सूचना है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी भी गुरुवार को मणिपुर पहुंचे हैं। बता दें कि राहुल गांधी के काफिले को मणिपुर पुलिस ने इंफाल से 20 किलोमीटर दूर बिष्णुपुर में रोक दिया था। राहुल गांधी मणिपुर के अपने दो दिवसीय दौरे के लिए इंफाल पहुंचने के बाद चुराचांदपुर जिले के लिए रवाना हुए थे, जहां व हिंसा के कारण विस्थापित हुए लोगों से राहत शिविरों में मिलने वाले थे। पुलिस की ओर से रोके जाने के बाद राहुल गांधी इंफाल वापस लौट गए। राहुल गांधी के काफिले के रोके जाने के विरोध में पार्टी कार्यकर्ताओं और स्थानीय लोगों ने विरोध प्रदर्शन भी किया।
राहुल गांधी के स्वागत के लिए सड़कों पर खड़े हैं लोग
मणिपुर कांग्रेस अध्यक्ष के। मेघचंद्र सिंह ने कहा कि लोग राहुल गांधी के स्वागत के लिए सड़कों पर खड़े हैं, लेकिन बिष्णुपुर पुलिस के अधिकारी सड़कों पर उन्हें रोक रहे हैं। मैंने सुना है कि मणिपुर के मुख्यमंत्री ने सड़कें बंद करने के निर्देश भी दिए हैं। वे इसका राजनीतिकरण कर रहे हैं। वे केवल ये कह रहे हैं कि कानून-व्यवस्था की स्थिति अच्छी नहीं है और हमें आगे नहीं बढ़ने दे रहे। गौरतलब है कि मणिपुर में मेइती और कुकी समुदाय के बीच 3 मई को भड़की जातीय हिंसा में अब तक 100 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। मणिपुर में अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मेइती समुदाय की मांग के विरोध में 3 मई को आदिवासी एकजुटता मार्च के आयोजन के बाद हिंसा शुरू हुई थीं। 
  

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