बाला साहब ठाकरे की शिवसेना को लेकर काफी समय से ठाकरे और एकनाथ शिंदे के बीच लड़ाई चल रही थी इस लड़ाई की शुरुवात होती है उद्वव ठाकरे की सरकार गिरने के बाद जब एकनाथ शिंदे उद्वव ठाकरे से अलग होते है और शिवसेना के विधायक अपने पाले में लेकर बीजेपी के साथ नई सरकार बनाते है इसके बाद दोनों में तनातनी होती है पार्टी और पार्टी के सिंबल को लेकर।
एकनाथ शिंदे के पक्ष में आया फैसला
दोनों ही पार्टी और पार्टी के सिंबल पर हक जताते है मामला चुनाव आयोग पहुंचता है और चुनाव आयोग सुनवाई करते हुए एकनाथ शिंदे के पक्ष में फैसला सुनाता है। जिसके बाद अब उद्धव ठाकरे से सब कुछ छिन चुका है। चुनाव आयोग ने शुक्रवार को कहा कि पार्टी का नाम ‘शिवसेना’ और धनुष और तीर का पार्टी चिन्ह एकनाथ शिंदे गुट के पास रहेगा। ईसीआई ने गुट को दिए गए पहले के नाम – बालासाहेबंची शिवसेना – और दो तलवारों और ढालों के प्रतीक को तत्काल प्रभाव से हटा दिया। वहीं इस फैसले में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाले शिवसेना गुट को मशाल का प्रतीक और नाम शिवसेना उद्धव बालासाहेब ठाकरे को मिला है। 
दोनों गुटों को आवंटित किए थे अलग अलग नाम चिन्ह
बता दें अक्टूबर 2022 में दोनों गुटों को अलग-अलग पार्टी के नाम और सिंबल आवंटित किए गए थे। नवंबर 2022 में हुए अंधेरी पूर्व उपचुनाव में शिवसेना पार्टी के नाम और धनुष और तीर के प्रतीक का उपयोग करने से दोनों गुटों को रोक दिया गया था। आपको बता ये मामला कोई नया नहीं है पहले भी ऐसे कई मामले सामने आए हैं। जिनमें दोनों गुटों ने वास्तविक पार्टी के रूप में मान्यता की मांग की है।
उद्वव ठाकरे जाएंगे सुप्रीम कोर्ट
इस फैसले से उद्वव ठाकरे पर गहरा असर पड़ा है क्योंकी उनके पक्ष में फैसला नहीं आया। एसे में वो कोर्ट का दरवाजा खट खटा सकते है। आयोग के फेसले के बाद पार्टी के कार्यालयों से लेकर पार्टी से जुड़े सभी संसाधनों को लेकर भी लड़ाई शुरू हो सकती है। शिवसेना भवन को लेकर भी शिंदे गुट अब अपना अधिकार जता सकता है। हालांकि, एक्सपर्ट कहते हैं कि इसके लिए ये देखना होगा कि शिवसेना भवन किसके नाम पर है। अगर किसी ट्रस्ट के जरिए इसका रजिस्ट्रेशन है तो उस ट्रस्ट में कौन-कौन शामिल है।
चुनाव आयोग के आदेश पर रोक की मांग
ठाकरे गुट के पास रास्तों की बात करें तो सबसे पहले उद्धव गुट आयोग के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जा सकता है। उद्धव गुट कोर्ट का फैसला आने तक चुनाव आयोग के आदेश पर रोक लगाने की मांग कर सकता है। वहीं जल्द ही होने वाले बीएमसी चुनाव में उद्धव गुट नए पार्टी के नाम और चुनाव निशान पर लड़कर बेहतर प्रदर्शन करके आयोग के फैसले पर सवाल खड़ा कर सकता है। इसे फैसले को लेकर संजय राउत का बयान भी सामने आया है। राउत ने कहा कि हम नया चुनाव चिह्न लेकर लोगों के बीच जाएंगे और फिर से वही शिवसेना बनाकर दिखाएंगे।