देहरादून : करीब 12 साल बाद घंटाघर की बंद पड़ी घड़ियां फिर शुरू हो गई। बंगलुरू कर्नाटक से तकरीबन साढ़े नौ लाख रुपये में मंगाई गई छह डिजिटल घड़ी को आज सुबह स्थापित कर दिया गया। दून मे मेयर सुनील उनियाल गामा और नगर आयुक्त विनय शंकर पांडेय ने घड़ियों का शुभारंभ किया। डिजिटल घड़ियां बिजली से संचालित होंगी व इसके लिए नया कनेक्शन भी लिया गया है। वर्ष 2007 में घंटाघर की सुईंया बंद पड़ गई थी।
पुराने जमाने की मशीन और पुरानी तकनीक का उपचार न मिलने पर 2008 में नगर निगम ने घंटाघर की सुईंया चलाने पर दूसरे विकल्पों पर कसरत की। विचार हुआ कि इसकी मशीन की मरम्मत कराकर घड़ी चलाई जाए, लेकिन ऐसा संभव नहीं हुआ। फिर नई घड़ियां व मशीन लगाने पर विचार हुआ लेकिन बजट का अभाव होने से नगर निगम को हर बार हाथ पीछे खींच लेने पड़ रहे थे। ओएनजीसी ने पहल की एवं इसके सौंदर्यीकरण के लिए सीएसआर फंड से 80 लाख रुपये देने की बात कही। इसका काम दो साल पहले शुरू कराया जाना था लेकिन इसकी नींव कमजोर मिली।
फिर ब्रिडकुल के जरिए पहले इसकी नींव मजबूत की गई और अब सौंदर्यीकरण का कार्य चल रहा। मेयर ने बताया कि घंटाघर की नींव के साथ प्लस्तर का काम भी हो चुका है। यहां फव्वारे के साथ पार्क में हरियाली और लाइटिंग समेत दीवारों का पुर्ननिर्माण आदि का काम होगा। उन्होंने बताया कि घंटाघर हमारी विरासत का हिस्सा है व इसे सहेजना हमारा कर्तव्य है। बदले स्वरूप में घंटाघर जल्द लोगों के सामने होगा। घंटाघर में म्यूजिकल लाइट और फाउंटेन भी लगाए जा रहे हैं।