यूनिफॉर्म सिविल कोड के विरोध में द्रमुक, कहा- मंदिरों में SC/ST पुजारियों की करें नियुक्ति - Punjab Kesari
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यूनिफॉर्म सिविल कोड के विरोध में द्रमुक, कहा- मंदिरों में SC/ST पुजारियों की करें नियुक्ति

2024 के लोकसभा चुनाव से कुछ महीने पहले बीजेपी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC)

2024 के लोकसभा चुनाव से कुछ महीने पहले बीजेपी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) पर बड़ा बयान दिया है। इसे कई लोग आम चुनाव जीतने के लिए भगवा पार्टी के कदम के रूप में देख रहे हैं। हालांकि, यह उत्तर भारत में पार्टी के लिए फायदेमंद हो सकता है। लेकिन, दक्षिण भारत में यह मुश्किल है। तमिलनाडु और केरल जैसे राज्यों में इसका उल्टा असर पड़ेगा। तमिलनाडु की सत्तारूढ़ द्रमुक UCC के विरोध में सख्त रही है और मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के नेतृत्व वाली पार्टी ने देश को विभाजित करने की कोशिश की बात करते हुए प्रधानमंत्री और बीजेपी के खिलाफ जमकर हमला बोला। द्रमुक के सहयोगी दल भी UCC के विरोध में मुखर रहे हैं।
दिलचस्प बात यह है कि विपक्षी अन्नाद्रमुक, जो तमिलनाडु में बीजेपी की सहयोगी है, ने UCC पर अपनी स्थिति का ठीक से जवाब नहीं दिया है। इस मुश्किल सवाल का जवाब देने की जिम्मेदारी पार्टी महासचिव और पूर्व मुख्यमंत्री के पलानीस्वामी (ईपीएस) को दे दी है। खास बात ये है कि स्टालिन UCC के विचार का विरोध करने वाले पहले व्यक्ति थे। चेन्नई में एक कार्यक्रम में बोलते हुए उन्होंने कहा कि UCC के लागू होने से देश में अशांति फैल जाएगी। मोदी धर्म के नाम पर अशांति पैदा करके भ्रम पैदा कर रहे हैं। वो चुनाव जीतने की कोशिश कर रहे हैं। द्रमुक नेता ने कहा, UCC को पहले हिंदू धर्म में लागू किया जाना चाहिए। डीएमके और तमिलनाडु के लोग UCC नहीं चाहते हैं।
स्टालिन के नक्शेकदम पर चलते हुए द्रमुक नेता और पार्टी प्रवक्ता टीकेएस एलंगोवन ने भी देश में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने की कोशिश के लिए बीजेपी और प्रधानमंत्री की आलोचना की। एलंगोवन ने कहा कि UCC को सबसे पहले हिंदू धर्म में लागू किया जाना चाहिए और आह्वान किया कि एससी/एसटी समुदायों में जन्मे लोगों सहित प्रत्येक व्यक्ति को देश के किसी भी मंदिर में पूजा करने की अनुमति दी जानी चाहिए। द्रमुक नेता ने कहा कि यह तमिलनाडु की एमके स्टालिन सरकार थी, जिसने सभी जातियों से आए अर्चकों (पुजारियों) को नियुक्त करने के चुनावी वादे को लागू किया था। 
उन्होंने यह भी कहा कि डीएमके UCC सिर्फ इसलिए नहीं चाहती क्योंकि संविधान ने हर धर्म को सुरक्षा दी है। द्रमुक प्रवक्ता ने कहा कि बीजेपी और प्रधानमंत्री मोदी का विचार मुस्लिम समुदाय पर दबाव बनाना था। एमडीएमके भी UCC के खिलाफ पुरजोर तरीके से सामने आई और पार्टी के संस्थापक महासचिव एवं सांसद वाइको ने कहा कि केंद्र को UCC लागू करने की अपनी योजना छोड़ देनी चाहिए। विदुथलाई चिरुथिगल काची (वीसीके) जैसे द्रमुक के सहयोगियों और वामपंथी दलों, सीपीआई और सीपीआई-एम ने देश में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने की कोशिश कर रही केंद्र की बीजेपी सरकार का कड़ा विरोध किया है।
गौरतलब है कि बीजेपी की सहयोगी पार्टी अन्नाद्रमुक भी UCC को लेकर भगवा पार्टी के साथ नहीं है और 2019 के चुनावी घोषणापत्र में उन्होंने कहा था कि पार्टी केंद्र सरकार से UCC को लागू न करने का आग्रह करेगी। पार्टी नेतृत्व सीधे सवाल का जवाब देने से कतरा रही है और तमिलनाडु में बीजेपी के साथ अस्थिर राजनीतिक गठबंधन के साथ, अन्नाद्रमुक अगले कुछ दिनों में अपने राजनीतिक रुख के साथ सामने आएगी। तमिलनाडु में बीजेपी पहले से ही मुश्किल स्थिति में है क्योंकि उसके सहयोगी अन्नाद्रमुक के साथ संबंध अच्छे नहीं हैं। ऐसे में बीजेपी और प्रधानमंत्री की UCC की वकालत से उसके गठबंधन सहयोगियों की भी भगवा पार्टी से दूरी बनाए रखने की संभावना है। 
द्रमुक और स्टालिन का लक्ष्य तमिलनाडु की सभी 39 लोकसभा सीटों और पुडुचेरी की एकमात्र सीट पर है। पार्टी नेतृत्व की राय है कि UCC का कड़ा विरोध अल्पसंख्यक मुस्लिम समुदाय के बीच उसकी हिस्सेदारी बढ़ाएगा, जिसके पास राज्य में एक समर्पित वोट बैंक है। चेन्नई स्थित सेंटर फॉर पॉलिसी एंड डेवलपमेंट स्टडीज थिंक टैंक के निदेशक सी राजीव ने मीडिया को बताया, देश में UCC के कार्यान्वयन की संभावना पर भोपाल में प्रधानमंत्री के बयान का तमिलनाडु में कड़ा विरोध हो रहा है। द्रमुक और उसके सहयोगियों ने पहले ही इस कदम पर अपना विरोध जताया है। यहां तक कि अन्नाद्रमुक भी इस मुद्दे पर बीजेपी को अपना समर्थन नहीं देगी। बीजेपी पहले से ही मुश्किल स्थिति में है और अगर 2024 के चुनावों के दौरान देश में UCC लागू होता है, तो पार्टी को राज्य से ज्यादा समर्थन नहीं मिलेगा।

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