मध्य प्रदेश के इंदौर अंतर्गत नर्मदा तट स्थित भट्टयान बुजुर्ग में संत सियाराम बाबा ने आज सुबह देह त्याग दिया। उनका अंतिम संस्कार शाम 4 बजे किया जाएगा। बाबा 10 दिन से बीमार थे। इंदौर के डॉक्टरों ने इलाज किया था। बाबा मूलतः गुजरात के रहने वाले थे। इंदौर में कई साल से नर्मदा भक्ति कर रहे थे। फिलहाल आश्रम में सियाराम बाबा के अंतिम दर्शन को लोगों की भीड़ लगी है। कुछ दिन पहले बाबा को निमोनिया की समस्या होने पर सनावद के निजी अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। उनका आश्रम में ही जिला चिकित्सालय और कसरावद के डॉक्टर इलाज कर रहे थे।
गुजरात में हुआ था जन्म
1933 में बाबा का जन्म गुजरात के भावनगर में हुआ था। उन्होंने 17 की उम्र में आध्यात्मिक मार्ग पर चलने का फ़ैसला लिया था। उन्होंने कई साल तक गुरु के साथ पढ़ाई कर तीर्थ भ्रमण किया। वे 1962 में भट्याण आए थे। उन्होंने एक पेड़ के नीचे मौन रहकर तपस्या की, जब उनकी साधना पूरी हुई तो उन्होंने ‘सियाराम’ का उच्चारण किया। इसके बाद से वे सियाराम बाबा के नाम से जाने जाते हैं। वे भगवान हनुमान के भक्त हैं।
हर दिन करते थे रामायण का पाठ
सेवादारों ने बताया कि उनकी दिनचर्या भगवान राम एवं मां नर्मदा की भक्ति से शुरू होती और खत्म होती थी। बाबा प्रतिदिन रामायण का पाठ करते थे। श्रद्धालुओं को स्वयं के हाथों से बनी चाय प्रसाद के रूप में वितरित करते थे। समीपस्थ ग्राम सामेड़ा के रामेश्वर सिसोदिया ने बताया कि बाबा की आयु 95 वर्ष थी।
मंदिरों में करोड़ों रुपये किए दान
ग्राम भट्टयाण के सरपंच भूराजी बिरले ने बताया कि बाबा हर श्रद्धालु से 10 रुपये दान लेते थे। बाबा ने आश्रम के प्रभावित डूब क्षेत्र हिस्से के मिले मुआवजे के दो करोड़ 58 लाख रुपये प्रसिद्ध तीर्थ स्थान नागलवाड़ी मंदिर में दान किए थे। 20 लाख रुपये एवं चांदी का छत्र जाम घाट स्थित पार्वती माता मंदिर में दान किया। आश्रम से नर्मदा बनाया घाट सियाराम बाबा ने एक करोड़ रुपये से बनवाया था।