हिमाचल विधानसभा चुनाव में कांग्रेस जीत दर्ज करने के लिए अपनी सियासी रणनीति बदलती नज़र आ रही है। सूत्रों की मानें तो राहुल की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ और हिमाचल-गुजरात के चुनावों में इसी रणनीति के तहत पार्टी उतर रही है। राज्यों के चुनावों को पार्टी अब जनता से सीधे जुड़े मुद्दों के आधार पर लड़ने की रणनीति पर चल रही है।यही वजह है कि हिमाचल चुनावों से राहुल पूरी तरह दूर रहे।तो वहीं गुजरात चुनाव में भी राहुल 4 रैलियां करेंगे। जबकि मांग करीब 10 रैलियों की थी।
दरअसल कांग्रेस को लगता है कि राज्य के चुनाव में राहुल का ओवर एक्सपोज़र चुनाव को स्थानीय और जनता से जुड़े मुद्दों के बजाय राष्ट्रीय मुद्दों पर ले जाता है। और फिर मोदी का चेहरा राज्य में अहम भूमिका निभा देता है। इसीलिए हिमाचल में भले ही भाजपा ने मोदी के नाम पर वोट मांगने की कोशिश की समान अचार संहिता धारा 370, यूक्रेन-रूस युद्ध में पीएम मोदी की पॉज़िटिव भूमिका का ज़िक्र किया। मोदी ने खुद को चेहरा बनाते हुए कहा कि अगर हिमाचल में कांग्रेस की सरकार बन गयी तो वो दिल्ली में बैठकर राज्य का विकास नहीं कर पाएंगे, क्योंकि कांग्रेस करप्ट और विकास विरोधी है।
बुनियादी मुद्दों पर जोर दे रही कांग्रेस
हिमाचल में पार्टी के प्रचार की कमान संभाले खुद प्रियंका गांधी भी इसी रणनीति पर चल रहीं है।कांग्रेस के तमाम राष्ट्रीय और स्थानीय नेताओं को भी इसी रणनीति पर चलने के निर्देश दिए गए थे।अब कांग्रेस के आंतरिक सर्वे पार्टी को हिमाचल में बढ़त दिखा रहे हैं, साथ ही सर्वे में यात्रा से राहुल की छवि में भी सुधार की बात कही जा रही है।