सिद्धारमैया के समर्थक मांग कर रहे हैं कि हरिप्रसाद को परिषद में विपक्ष के नेता के पद से बर्खास्त किया जाए। इस बीच, गृह मंत्री डॉ. जी. परमेश्वर ने इस मुद्दे पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया और कहा है कि पत्रकारों को हरिप्रसाद से ही पूछना चाहिए। कर्नाटक में कांग्रेस की अंदरूनी कलह दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है। सीएम सिद्धारमैया के समर्थक परिषद में विपक्ष के नेता बी.के. हरिप्रसाद ने सीएम की पोस्ट पर उनकी टिप्पणियों के लिए उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। इस घटनाक्रम ने सत्तारूढ़ कांग्रेस को परेशानी में डाल दिया है। राज्य मंत्रिमंडल में शामिल न किए जाने पर अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए हरिप्रसाद ने कहा कि वह भीख नहीं मांगेंगे। इस बयान ने विवाद खड़ा कर दिया है। कानून एवं संसदीय कार्य मंत्री एच.के. पाटिल ने कहा कि यह सब मीडिया की उपज है। हरिप्रसाद ने इस तरह की कोई बात नहीं कही है। अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि वरिष्ठ नेताओं का इस मुद्दे पर कोई रुख न अपनाना और सीएम सिद्धारमैया का समर्थन न करना, यह कहता है कि कांग्रेस पार्टी में सब कुछ ठीक नहीं है। डिप्टी सीएम डी.के. शिवकुमार सीएम पद न मिलने से भी नाखुश हैं. उनके खेमे का कहना है कि वह 2.5 साल बाद मुख्यमंत्री बनेंगे। सिद्धारमैया के कट्टर समर्थक आवास मंत्री बी.जेड. ज़मीर अहमद खान और एन. चेलुवरयास्वामी ने सीएम के लिए वकालत की है और हरिप्रसाद की आलोचना की है।
छत्तीसगढ़ के सीएम मेरे रिश्तेदार नहीं हैं -हरिप्रसाद
इस बीच सिद्धारमैया खेमा पार्टी से हरिप्रसाद के खिलाफ कार्रवाई करने और उन्हें नोटिस भेजने का आग्रह कर रहा है। हालांकी हरिप्रसाद ने कहा था, ”मुझे कैबिनेट में जगह मिलेगी या नहीं, यह अलग बात है। कांग्रेस के पांच मुख्यमंत्रियों के चयन में मेरी भूमिका रही है। छत्तीसगढ़ के सीएम मेरे रिश्तेदार नहीं हैं। मैंने पिछड़े वर्ग के नेता को सीएम बनाया है। मैं अच्छी तरह से जानता हूं कि सीएम कैसे बनाना है और साथ ही मैं उन्हें गद्दी से उतार भी देता हूं।” उन्होंने कहा था कि वह पदों के लिए भीख नहीं मांगेंगे। उन्होंने परोक्ष रूप से सीएम सिद्धारमैया पर निशाना साधते हुए कहा था, मैं लड़ाई लड़ूंगा।