केंद्र सहित देश के लगभग सभी हिस्सों में अपनी राजनीतिक अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही कांग्रेस गुजरात चुनाव के लिए विशेष रणनीती बनाने पर जोर दी रही हैं। भाजपा गुजरात में काफी लंबे समय से सत्ता पर काबिज हैं जिसको हटाने के लिए कांग्रेस एडी चोटी का जोर लगा रही हैं। कांग्रेस पार्टी चाहती हैं की अबकी बार चुनाव में मोदी बनाम कांग्रेस ना किया जाए , क्योंकि इससे कांग्रेस को सियासी चोट लग सकती हैं। मुख्य विपक्षी दल ने राज्य में मुख्यमंत्री पद के लिए अपना कोई उम्मीदवार घोषित नहीं करने की अपनी परिपाटी भी अमल करने का फैसला किया है। उल्लेखनीय है कि गुजरात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का गृह राज्य है।
प्रियंका गांधी से कांग्रेस के वरिष्ठ गुजरात नेताओं से की थी मुलाकात
राज्य की 182 सदस्यीय विधानसभा के लिए इस साल के अंत में चुनाव होने हैं। भाजपा के समक्ष 24 साल से अधिक समय तक सरकार में बने रहने के बाद सत्ता विरोधी लहर को मात देने की कठिन चुनौती है।प्रियंका गांधी वाद्रा समेत कुछ शीर्ष नेताओं वाले कांग्रेस के कार्य बल ने आगामी विधानसभा चुनाव की रणनीति तैयार करने के लिए इस सप्ताह के शुरु में दिल्ली में गुजरात के नेताओं से मुलाकात की थी।
पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी द्वारा गठित कार्य बल में वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम, मुकुल वासनिक, के.सी. वेणुगोपाल, रणदीप सिंह सुरजेवाला और अन्य नेता शामिल हैं। बैठक में कांग्रेस की गुजरात इकाई के प्रभारी रघु शर्मा, पार्टी की राज्य इकाई के अध्यक्ष जगदीश ठाकोर, विपक्ष के नेता सुखराम राठवा, कांग्रेस की गुजरात इकाई के दो पूर्व अध्यक्षों अर्जुन मोढवाडिया एवं अमित चावड़ा और पार्टी प्रवक्ता मनीष दोशी ने हिस्सा लिया था।
गुजरात चुनाव मोदी बनाम कांग्रेस नही बनने देने का किया फैसला – दोशी
दोशी ने एक समाचार एजेंसी से कहा, ‘‘दिल्ली में कांग्रेस की गुजरात इकाई के नेताओं के साथ कार्य बल की बैठक के दौरान आगामी विधानसभा चुनाव की तैयारी को लेकर एक विस्तृत रणनीति तैयार की गई।’’ पार्टी सूत्रों ने बताया कि गुजरात चुनावों का संबंध केंद्र में सरकार के गठन या प्रधानमंत्री चुनने से नहीं है, इसलिए यह फैसला किया गया कि इन चुनावों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बनाम कांग्रेस का मुकाबला नहीं बनने दिया जाना चाहिए।
हमारा मुकाबला भूपेंद्र पटेल व भाजपा राज्य ईकाई से हैं – गुजरात कांग्रेस
एक सूत्र ने कहा, ‘‘ये गुजरात के चुनाव हैं और हमारा मुकाबला मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल और भाजपा की राज्य इकाई के अध्यक्ष सी आर पाटिल से है।’’ उसने कहा, ‘‘भाजपा के लिए, प्रधानमंत्री मोदी तुरुप का इक्का हैं और वे उनके नाम पर वोट मांगेंगे। उनके पास राज्य स्तर पर कोई मजबूत नेता नहीं है, इसलिए वे चुनाव को मोदी बनाम कांग्रेस की लड़ाई में बदलने की कोशिश करेंगे, लेकिन मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री नहीं बनने वाले हैं। लोगों ने भाजपा के मुख्यमंत्रियों के कुशासन को देखा है और कांग्रेस की लड़ाई उनके खिलाफ है।’’
सोनिया के बयान को मोहरा बनाकर पीएम मोदी ने 2007 में किया था प्रचार
वर्ष 2007 के गुजरात चुनाव प्रचार के दौरान सोनिया गांधी ने राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री मोदी पर निशाना साधते हुए उन्हें ‘‘मौत का सौदागर’’ कहा था और उन्हें राज्य में 2002 में हुए गोधरा कांड के बाद हुए साम्प्रदायिक दंगों के लिए जिम्मेदार बताया था। मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद भी कांग्रेस ने गुजरात के अपने चुनाव अभियानों में उन पर निशाना साधना जारी रखा। दोशी ने कहा कि बैठक में फैसला किया गया कि पार्टी की चुनाव प्रचार मुहिम स्थानीय मुद्दों पर केंद्रित रहनी चाहिए।
शक्ति सिंह गोहिल को सीएम पद के लिए पेश नही करेंगी पार्टी
दिल्ली में हुई बैठक में भाग लेने के बाद रघु शर्मा ने कहा था कि पार्टी ने विधानसभा चुनाव के लिए मुख्यमंत्री पद के चेहरे के रूप में किसी को पेश नहीं करने का फैसला किया है। पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता शक्तिसिंह गोहिल ने भी पुष्टि की कि पार्टी मुख्यमंत्री पद के चेहरे के रूप में किसी को पेश नहीं करेगी।
बहुमत मिलने के बाद विधायक दल तय करेंगा सीएम उम्मीदवार
गोहिल ने कहा, ‘‘कांग्रेस की परंपरा के अनुसार, यदि बहुमत मिलता है, तो विधायक बैठक में फैसला करेंगे कि मुख्यमंत्री किसे बनाना है। हम परंपरा का पालन करेंगे।’’ दोशी ने कहा कि जहां तक पार्टी के चुनावी घोषणा पत्र को तैयार करने का सवाल है तो यह फैसला किया गया कि पार्टी एजेंडे को अंतिम रूप देने से पहले लोगों से सुझाव मांगेगी और उनके विचारों पर गौर करेगी।
गुजरात में भाजपा 1998 से सत्ता में है, जबकि कांग्रेस 1995 से राज्य में चुनाव नहीं जीत पाई है। पार्टी ने 2017 में 77 सीट जीती थीं, जबकि भाजपा को 99 सीट पर जीत मिली थीं।