रांची : राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष सह केन्द्रीय मानव संसाधन राज्यमंत्री उपेन्द्र कुशवाहा ने सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के जजों की नियुक्ति के लिए स्थापित कॉलेजियम सिस्टम को असंवैधानिक बताते हुए कहा कि न्यायपालिका में सभी वर्गों की भागीदारी होनी चाहिए। इसके लिए कॉलेजियम सिस्टम समाप्त होना जरूरी है। उनकी पार्टी उसके खिलाफ हल्ला बोल दरवाजा खोल कार्यक्रम चलाकर बुद्घिजीवियों को जागृत कर रही है। वे विधानसभा सभागार में कॉलेजियम सिस्टम के खिलाफ पार्टी द्वारा आयोजित कार्यक्रम को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि जजों की निुयक्ति पर देश के 250 से 300 परिवारों का वर्चस्व है।
सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट, इसमें एससी-एसटी एवं ओबीसी के जजों की संख्या नगण्य है। पहले संविधान में जजों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा किये जाने का प्रावधान था जिसकी जगह कॉलेजियम सिस्टम लाया गया। इसके बाद से जजों का चयन सुप्रीम कोर्ट करता है और राष्ट्रपति उस पर मुहर लगाते हैं। केन्द्र की वर्तमान सरकार ने कॉलेजियम सिस्टम को समाप्त करने के लिए संसद के दोनों सदनों से भारतीय न्यायिक सेवा आयोग बिल पास कराया था जिसे सुप्रीम कोर्ट ने मानने से इनकार कर दिया। कार्यक्रम में दिल्ली विवि के प्रो. सुबोध कुमार, हाईकोर्ट के अधिवक्ता जोसेफ एरीन टोटल वहरिशंकर प्रसाद ने कॉलेजियम सिस्टम पर विस्तार से प्रकाश डाला। मौके पर पूर्व मंत्री देवदयाल कुशवाहा, नागमणि, विजय महतो, शंकर झा आजाद, आभा कुशवाहा, सज्जन कश्यप मौजूद थे।