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गुजरात: आदिवासियों के लिेए अपमानजनक शब्दों के इस्तेमाल पर भाजपा, कांग्रेस में हुआ टकराव

गुजरात विधानसभा में विपक्षी दल कांग्रेस ने शनिवार को भाजपा सरकार से आदिवासियों का जिक्र करते हुए ‘‘वनवासी’’

गुजरात विधानसभा में विपक्षी दल कांग्रेस ने शनिवार को भाजपा सरकार से आदिवासियों का जिक्र करते हुए ‘‘वनवासी’’ और ‘‘वनबंधु’’ शब्दों का इस्तेमाल न करने के लिए कहा और दावा किया कि ये शब्द असंवैधानिक तथा अपमानजनक हैं। कांग्रेस ने राज्य सरकार से आदिवासी समुदाय को केवल ‘‘आदिवासी’’ कहने तथा इस संबंध में एक परिपत्र जारी करने के लिए कहा। 
राज्य के आदिवासी कल्याण मंत्री गणपत वसावा ने कहा कि ये शब्द बरसों से इस्तेमाल किए जाते रहे हैं और यहां तक कि राज्य तथा केंद्र में पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकारों ने आदिवासी कल्याण योजनाओं में ‘‘वनबंधु’’ और ‘‘वनवासी’’ शब्दों का जिक्र किया था। 
वसावा ने विधानसभा में एक सवाल का जवाब देते हुए कहा, ‘‘ये शब्द केवल कुछ आदिवासी कल्याण योजनाओं जैसे कि वनबंधु कल्याण योजना में इस्तेमाल किया जाता है। हमारी सरकार ने आदिवासी शब्द के स्थान पर ‘वनवासी’ और ‘वनबंधु’ इस्तेमाल करने का कोई परिपत्र जारी नहीं किया।’’ उन्होंने कहा कि भाजपा ने इन शब्दों को नहीं गढ़ा है बल्कि ये 1976 से इस्तेमाल में हैं जब गुजरात में कांग्रेस सत्ता में थी। 
कांग्रेस विधायक चंद्रिका बारिया ने दावा किया कि इन शब्दों के इस्तेमाल से आदिवासियों की भावनाएं आहत होती है जबकि एक अन्य आदिवासी विधायक अनिल जोशीरा ने सरकार से इन शब्दों पर रोक लगाने और केवल आदिवासी शब्द का इस्तेमाल करने के लिए कहा। 
जोशीरा ने कहा, ‘‘‘वनवासी’ शब्द असंवैधानिक है। इसका साफ तौर पर मतलब वन में रह रहे ‘जंगली’ (असभ्य) लोगों से है। आदिवासियों के लिए आदिवासी ही उचित शब्द है। आदिवासी का मतलब है बरसों से इस सरजमीं पर रह रहे लोग हैं। इन शब्दों पर रोक लगाने के लिए कृपया एक परिपत्र जारी करें।’’ 

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