चीफ जस्टिस उदय उमेश ललित ने आंध्र प्रदेश की राजधानी स्थानांतरित या विभाजित करने के लिए कानून बनाने में राज्य विधानसभा को सक्षम नहीं बताने संबंधी हाई कोर्ट के फैसले के विरूद्ध वहां की सरकार की अपील पर सुनवाई से मंगलवार को खुद को अलग कर लिया।
शीर्ष अदालत में राज्य सरकार की याचिका सुनवाई के लिए आने पर, प्रधान न्यायाधीश (CJI) और जस्टिस बेला एम त्रिवेदी की बेंच को बताया गया कि न्यायमूर्ति ललित ने अधिवक्ता रहने के दौरान आंध्र प्रदेश के विभाजन से जुड़े मुद्दे पर कानूनी राय दी थी। CJI ने कहा, ‘‘विषय को ऐसी पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया जाए जिसका मैं सदस्य नहीं हूं।’’ अब विषय को उपयुक्त पीठ को आवंटित करने के लिए सीजेआई की प्रशासनिक क्षमता को लेकर उनके समक्ष रखा जाएगा।
विधानसभा राजधानी के स्थानांतरण या विभाजन के लिए नहीं बना सकती कानून
आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट ने इस वर्ष तीन मार्च को अपने निर्णय में कहा था कि राज्य विधानसभा राजधानी के स्थानांतरण या विभाजन के लिए कानून नहीं बना सकती है। इस तरह, राज्य की राजधानी 3 अलग-अलग राजधानियां बनाने की मुख्यमंत्री वाई एस जगनमोहन रेड्डी की योजना पर विराम लग गया।हाई कोर्ट का निर्णय अमरावती क्षेत्र के पीड़ित किसानों की 63 याचिकाओं के एक समूह पर आया था। ये याचिकाएं विशाखापत्तनम को आंध्र प्रदेश की कार्यपालिका राजधानी, अमरावती को विधायी राजधानी और कुर्नूल को न्यायिक राजधानी बनाने के जगन शासन के फैसले के विरूद्ध दायर की गई थीं।