चमोली : डोकलाम में एक बार फिर चीनी गतिविधियों की खबरों के बीच चमोली से सटी सीमा पर भी घुसपैठ की चर्चा है। बताया जा रहा है कि तीन से दस जुलाई के बीच चीन के सैनिक पांच बार बाड़ाहोती क्षेत्र में घुसे। इस दौरान उन्होंने वहां मौजूद भेड़ पालकों को वापस जाने का भी इशारा किया। हालांकि चमोली की जिलाधिकारी स्वाति भदौरिया ने ऐसी किसी घटना की जानकारी से इन्कार किया है, लेकिन यह जरूर कहा कि बाड़ाहोती क्षेत्र में गुरुवार शाम प्रशासन की टीम रवाना की गई है। उन्होंने इसे नियमित गश्त बताया। दूसरी ओर चमोली की पुलिस अधीक्षक तृप्ति भट्ट ने टिप्पणी करने से इन्कार कर दिया। उधर मुख्य सचिव उत्पल कुमार का कहना है कि वैसे तो उनके संज्ञान में इस तरह की कोई बात नहीं है, लेकिन उत्तराखंड की सीमाओं की सुरक्षा के लिए राज्य और केंद्र सरकार अलर्ट रहती है मुख्य सचिव की मानें तो हमारी सीमाएं सैनिकों की वजह से सुरक्षित है।
सूत्रों के अनुसार घुसपैठ की शुरुआत तीन जुलाई को हुई। इसके बाद छह और सात जुलाई को चीनी सैनिक करीब 200 मीटर भीतर तक आए। अग्रिम चौकी पर तैनात जवानों के विरोध के बाद वे वापस लौट गए। बताया जा रहा है कि इसके बाद आठ जुलाई को दो दर्जन से अधिक चीनी सैनिक होतीगाड क्षेत्र में चार किलोमीटर भीतर तक आ धमके और कुछ देर में लौट भी गए। इसके बाद 10 जुलाई को बाड़ाहोती के तंजुुला क्षेत्र में चीनी सैनिकों को फिर से देखा गया। इस बार उन्होंने वहां मौजूद भेड़ पालकों को इशारे से लौटने को कहा। बाड़ाहोती क्षेत्र में घुसपैठ का यह पहला मामला नहीं है। पिछले साल जुलाई में भी ऐसी घटना सामने आई थी।
तब दो सौ चीनी सैनिक करीब दो घंटे तक भारतीय सीमा में रहे थे। इससे पहले वर्ष 2014 में भी यहां चीन का विमान देखा गया था। जुलाई 2016 में क्षेत्र के निरीक्षण को गई राजस्व टीम से चीनी सेना का सामना हुआ था। इसकी रिपोर्ट केंद्र सरकार को भी भेजी गई थी। वर्ष 2015 में चीनी सैनिकों द्वारा चरवाहों के खाद्यान्न को नष्ट करने की घटना भी सामने आई थी। चमोली के जोशीमठ से 105 किलोमीटर दूर चीन से जुड़ी भारतीय सीमा घुसपैठ की दृष्टि से काफी संवेदनशील मानी जाती है। खासकर 80 वर्ग किलोमीटर में फैला बाड़ाहोती चारागाह। यहां स्थानीय लोग अपने मवेश्यिों को लेकर आते हैं। वर्ष में चार बार प्रशासन की टीम बाड़ाहोती का जायजा लेने जाती है।